कहा गया है कि संसार में जिसकी कीरà¥à¤¤à¤¿ होती है, उसकी कà¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ नहीं होती। उसके सृजनातà¥à¤®à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठयह संसार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सदैव सà¥à¤®à¤°à¤£ करता है तथा आने वाली पीढि़याठउनके अनà¥à¤à¤µ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर उनके जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेती हैं।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 07 कहा गया है कि संसार में जिसकी कीरà¥à¤¤à¤¿ होती है, उसकी कà¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ नहीं होती। उसके सृजनातà¥à¤®à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठयह संसार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सदैव सà¥à¤®à¤°à¤£ करता है तथा आने वाली पीढि़याठउनके अनà¥à¤à¤µ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर उनके जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेती हैं। à¤à¤¸à¥€ ही दिवà¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¾ थे पतंजलि आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ कॉलेज के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ डॉ. डी.à¤à¤¨. शरà¥à¤®à¤¾ जी। उनके निधन पर शोकाकà¥à¤² पतंजलि योगपीठपरिवार ने पतंजलि योगपीठ-। सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में à¤à¤• शांति सà¤à¤¾ का आयोजन किया। शांति सà¤à¤¾ में आचारà¥à¤¯ बालकृषà¥à¤£ ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय डॉ. दयानंद शरà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾à¤‚जलि, à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤‚जलि व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कहा कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की महतà¥à¤¤à¤¾, उनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की अनà¥à¤à¥‚ति उनके समà¥à¤®à¥à¤– नहीं होती अपितॠउनकी अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में होती है। उनमें पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सहजता से करने की अदà¥à¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ थी। डॉ. शरà¥à¤®à¤¾ जी का अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤ इस संसार से चले जाना पतंजलि योगपीठपरिवार के लिठअपूरà¥à¤£à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ है। वे पतंजलि योगपीठके à¤à¤• मजबूत सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ थे। डॉ. शरà¥à¤®à¤¾ ने अपने अगà¥à¤°à¤œ, अनà¥à¤œ व सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को साथ लेकर सदैव पतंजलि आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के सेवा रूपी अनà¥à¤·à¥à¤ ान को गति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। आचारà¥à¤¯ ने कहा कि आज सबके मन में à¤à¤¾à¤µ हैं, संवेदना है, अशà¥à¤°à¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ है, सà¤à¥€ का मन आकà¥à¤°à¤¾à¤‚त है। कोई शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहे न कहे परनà¥à¤¤à¥ सबका अंतस वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ है। आचारà¥à¤¯ महाराज ने कहा कि हमारे मन में डॉ. शरà¥à¤®à¤¾ के परिवारजनों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदना है। पतंजलि में कोई अधिकारी, करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ नहीं अपितॠपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पतंजलि परिवार का अंग होता है। डॉ. शरà¥à¤®à¤¾ के योगदान को अपने हृदयों में संजोकर, उनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर हमें पतंजलि आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ कॉलेज को शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रूप में अगà¥à¤°à¤£à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बनाना है। इस अवसर पर पतंजलि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿-कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. महावीर ने कहा कि आतà¥à¤®à¥€à¤¯, परम आदरणीय डॉ. दयानंद शरà¥à¤®à¤¾ का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन शिकà¥à¤·à¤¾ तथा आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहा। वे मन, वाणी व करà¥à¤® से à¤à¤• दिवà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ पतंजलि योगपीठसंसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सेवा में समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का नियम है, जो इस संसार में जनà¥à¤® लेता है उसे à¤à¤• दिन जाना ही होता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वह परमातà¥à¤®à¤¾ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त किसी दूसरे चोले को धारण करने के लिठचले गà¤à¥¤