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ईश्वर का एहसास रखते हुए स्वयं को मानवीय गुणों से युक्त करें - सत्गुरू माता सुदीक्षा


हर पल ईश्वर का एहसास रखते हुए अपने आपको मानवीय गुणों से युक्त करें’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने वर्चुअल निरंकारी सन्त समागम में विश्वभर से लाखों की संख्या में उपस्थित निरंकारी श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार (हेमा भण्डारी ) 8 जून, 2021- ‘‘हर पल ईश्वर का एहसास रखते हुए अपने आपको मानवीय गुणों से युक्त करें’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने वर्चुअल निरंकारी सन्त समागम में विश्वभर से लाखों की संख्या में उपस्थित निरंकारी श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। हरिद्वार ब्रांच के संजोयक सुरेश चावला ने बताया कि वर्चुअल निरंकारी सन्त समागम का आंनद ट्राइसिटी की सैकड़ो की संख्या में संगतो ने वेब साइड पर जुड़कर लिया । उन्होंने आगे बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों के सभी जोनों द्वारा आयोजित वर्चुअल समागम में सत्गुरू माता जी ने फरमाया कि ‘‘आत्मविश्लेषण एवं आत्मपरीक्षण करते हुए स्वयं का सुधार करके मानवता के लिए हम एक वरदान बनें। यदि हम स्वयं को सुधारने पर केन्द्रित हो जायेंगे, तब हमें दूसरों की कमियों को देखने का समय ही नहीं मिलेगा। छोटी-छोटी बातों पर भी जब हम संवेदनशील हो जायेंगे तब हमारे मुख से ऐसी कोई बात नहीं निकलेगी जो किसी को चोट पहुंचाये। माता जी ने आगे कहा कि सन्तों, पीरों, वलियों ने युगों-युगों से जो मार्ग दर्शाया है, वही नेक और सच्चा है। हमने उसी मार्ग पर चलकर संतुलित जीवन जीना है। परिवार, समाज, देश एवं मानवता के प्रति जो हमारी भूमिका है उसे पूर्णतः निभाना है। दक्षिण पूर्वी एशिया देशों के निरंकारी भक्तों द्वारा संयुक्त रूप में वर्चुअल समागम का आयोजन किया गया। सत्गुरू माता जी ने फरमाया कि जब निरंकार प्रभु के साथ नाता जोड़कर जीवन जिया जाता है, तभी जीवन सही अर्थों में सफल कहलाने योग्य बन जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का उल्लेख करते हुए सत्गुरू माता जी ने कहा कि परमात्मा ने कुदरत की रचना बहुत ही खूबसूरती से की है। प्रकति की इस बाहरी सुंदरता को तो हमने निखारना ही है परन्तु साथ ही साथ हमने अपने मन का प्रदूषण भी दूर करना है।

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