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उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, योग विज्ञान विभाग द्वारा एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी |


एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई जिसमे प्रातः 7:00बजे से योगा प्रोटोकॉल के अंतर्गत संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिकारियों ,कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं ने योगाभ्यास किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

आज 21 जून 2021 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई जिसमे प्रातः 7:00बजे से योगा प्रोटोकॉल के अंतर्गत संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिकारियों ,कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं ने योगाभ्यास किया। द्वितीय व्याख्यान सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखंड के आरएसएस प्रांत प्रचारक श्री युद्धवीर सिंह जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि योग एक स्वस्थ और सुखी जीवन जीने का मार्ग है। सभी को अपने व्यस्त जीवन में से समय निकालकर योग करना चाहिए। योग एक दिन के लिए नहीं बल्कि हमारी दिनचर्या का भाग है । इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति की परंपरा को हम सब को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी जी ने कहा कि आज हमारी भारत की प्राचीन विद्या योग विद्या का परचम पूरे विश्व में लहरा रहा है विश्व के 172 देश के लोग इस विद्या को अपना रहे हैं । यह हमारे देश के लिए गर्व का विषय है इस कोरोना काल में योग विद्या मानव के लिए आशा की किरण बनकर आई, जिसे अपनाकर हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ दिनेश चंद्र चमोला जी ने कहा कि स्वस्थ को बढ़ावा देने तथा रोगों की प्रबंधन तथा रोकथाम के लिए योग विद्या बहुत उपयोगी है पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ धीरज शुक्ला जी ने कहा कि योग हमें सफल बनाता है । आज के समय में ज्यादा लोग मानसिक रूप से चिंतित हैं जिसके लिए योग एक प्रभावात्मक चिकित्सा है । कार्यक्रम का संयोजन करते हुये योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ कामाख्या कुमार जी ने योग के विद्यार्थियों को योग के माध्यम से मानव उत्कर्ष के सन्दर्भ में बताया । विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गिरीश कुमार अवस्थी जी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया । ऑनलाइन कार्यक्रम में शोध छात्र अनुपम कोठरी ,शिवचरण नौडियाल ,महेश भट्ट आदि ने तकनिकी सहयोग प्रदान किया।

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