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उत्तराखंड राज्य का दर्जा मिलने के बाद कई गुजराती देवभूमि में आकर बस गए।


यहां रहकर भी गुजराती अपने स्वभाव संवेदनशीलता और आत्मीयता को नहीं भूले हैं। एक कहावत है कि गुजराती जहां भी रहते हैं, वहां गुजरात रहता है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 24 जून / उत्तराखंड राज्य का दर्जा मिलने के बाद कई गुजराती देवभूमि में आकर बस गए। यहां रहकर भी गुजराती अपने स्वभाव संवेदनशीलता और आत्मीयता को नहीं भूले हैं। एक कहावत है कि गुजराती जहां भी रहते हैं, वहां गुजरात रहता है। यहां हरिद्वार में रहने वाले सभी गुज्जू परिवार की भावना से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हरिद्वार में निवास कर रहे गुजरती समुदाय के लोग कोरोना महामारी के खिलाफ कठिन परिस्थिति में यहां के गुजराती एक-दूसरे की मदद करते रहे हैं। यहां तक कि सोशल नेटवर्किंग पर भी, उन्होंने सौहार्दपूर्ण पारिवारिक भावना के साथ मन की स्थिति बनाए रखने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाकर एक-दूसरे की मदद की। २१ जून से प्रारंभ कोविड 19 को टीकाकरण अभियान के लिए गुजराती समूह द्वारा लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से कोविड 19 को टीकाकरण के लिए निर्धारित केंद्र पर युवाओं जागृत कर भेज रहे है ताकि कोई भी टीकाकरण से वंचित न रहे। स्पॉट बुकिंग में सहायता के साथ जो बुजुर्ग अपने दम पर जाने में असमर्थ हैं, उन्हें अपने वाहनों की व्यवस्था कर टीकाकरण के लिए ले जाया जा रहा है.इतना ही नहीं पिछले डेढ़ साल से समाज के गरीब और असहाय परिवारों को संपूर्ण भोजन किट उपलब्ध करा रहे हैं. इस वर्ष नि:शुल्क नोटबुक वितरण की व्यवस्था की गई है। ये गुजराती यह भूलने से कभी नहीं हिचकिचाते कि मैं गुजराती हूं और जब भी कोई बड़ी आपदा आती है तो देशवासियों की सेवा करते हैं। यह महान राष्ट्रीय सेवा भावना गुजरातियों में छिपी है। इसके लिए उत्तराखंड के हरिद्वार में आर्य निवास के रमेश भाई, शांतिकुंज के किर्तन भाई देसाई ,लक्ष्मण भाई पवन दवे, लहर भाई सहित और हरिद्वार गुजरातियों के अध्यक्ष राजेश भाई पाठक, आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे है।

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