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एम्स में रहते हुए डॉ "निशंक" ने "एक जंग लड़ते हुए" शीर्षक से जो कविताएँ लिखी


आप सभी को यह शुभ सूचना देते हुए प्रसन्नता है कि देवभूमि के सपूत, शब्द-साधक कवि और भारत के यशस्वी शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल "निशंक" घातक "कोरोना" से उबर रहे हैं|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

आज आप सभी को यह शुभ सूचना देते हुए प्रसन्नता है कि देवभूमि के सपूत, शब्द-साधक कवि और भारत के यशस्वी शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल "निशंक" घातक "कोरोना" से उबर रहे हैं और बहुत शीघ्र स्वस्थ होकर घर आ जाएँगे। कोरोना की विभीषिका से जूझते हुए, एम्स में रहते हुए डॉ "निशंक" ने "एक जंग लड़ते हुए" शीर्षक से जो कविताएँ लिखी हैं,उस संग्रह से एक कविता"कोरोना" मैं आप सबसे साझी कर रहा हूँ, जो उनके दृढ़ संकल्प के साथ ही उनकी जीवट और लोकचिन्तन का दर्पण भी है- "कोरोना" "हार कहाँ मानी है मैंने? रार कहाँ ठानी है मैंने? मैं तो अपने पथ-संघर्षों का पालन करता आया हूँ। क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक? तुमको बैरंग ही जाना है। पूछ सको तो पूछो मुझको, मैंने मन में ठाना है। तुम्हीं न जाने, आए कैसे मुझमें ऐसे? पर,मैं तुम पर भी छाया हूँ, मैं तिल-तिल जल मिटा तिमिर को आशाओं को बोऊँगा; नहीं आज तक सोया हूँ अब कहाँ मैं सोऊँगा? देखो, इस घनघोर तिमिर में मैं जीवन-दीप जलाया हूँ। तुम्हीं न जाने आए कैसे, पर देखो, मैं तुम पर भी छाया हूँ।".... दिल्ली, एम्स कक्ष-704, प्रातः 7:00 बजे 6 मई, 2021 निस्संदेह, यह कविता नहीं है,बल्कि पूरी मानवता को अक्षर-साधक कवि- हृदय का जीवन-संदेश है।

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