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भू - कानून हैश टैग की उत्पत्ति


उत्तराखंड में एक नए भू कानून की मांग को लेकर सोशल मीडिया में हैश टैग की उत्पत्ति कहां से हुई से धीरे - धीरे पर्दा हटाने लगा है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

उत्तराखंड में एक नए भू कानून की मांग को लेकर सोशल मीडिया में हैश टैग की उत्पत्ति कहां से हुई से धीरे - धीरे पर्दा हटाने लगा है। वह शख्स भी भू कानून की मांग कर रहा है जिसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का मुख्य मीडिया सलाहकार रहते हुए दिसंबर 2018 में उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की जमीन को औद्योगिक प्रयोजन के नाम पर 2007-8 के भू कानून की बंदिशों को संशोधित करने का विधेयक बिना चर्चा के पारित कराया था। जिससे जितनी चाहो जमीन खरीदने का रास्ता साफ हुआ और जिसको राज्यहित में बताते हुए इसके प्रचार प्रसार की मीडिया सलाहकार के रूप में निभाई थी। इससे भू कानून की मांग और हैश टैग की उत्पत्ति कहां से हुई और किसका एजेंडा है लगभग साफ हो गया है। यह मांग उन युवाओं को सर्वाधिक आकर्षित कर रहा है। जिनको त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के संशोधित भू कानून को निरस्त करने के लिए भाजपा के खिलाफ संघर्ष के मैदान में होना चाहिए, लेकिन उन्हें नए भू कानून की मांग के साथ खड़ा होने के लिए भ्रमित किया जा रहा है। राजनीतिक रूप से कुछ दिग्भ्रमित लोग भी भू कानून के एजेंडे को मजबूत करने में लगे हैं। संशोधित भू कानून विधेयक विधानसभा में पारित होने के 33 महीने की लंबी चुप्पी के बाद उत्तराखंड क्रांति दल के कुछ लोग भी इस एजेंडा के शिकार हो गए हैं और उसकी तख्ती गले में लटका कर घुमाने लगें। इसी एजेंडे में अपने लिए राजनीति का शॉर्ट कट चांस ढूंढने लगे हैं। वे वहीं लोग हैं जो जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का भी समर्थन करते हैं। अपने लिए भू कानून चाहिए और कश्मीरियों को जिन्हें कानून मिला हुआ था उनका छीन लिया गया तो ठीक हुआ।ऐसा नहीं चल सकता है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि उनकी पार्टी ने 2018 में संशोधित विधेयक का विरोध किया था। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, भाजपा तथा कांग्रेस को भी ज्ञापन दिया था और पर्वतीय क्षेत्र की भूमि खरीदने के लिए दरवाजे चौपट खोलने का विरोध किया था। माकपा संशोधित भू कानून विधेयक को निरस्त करने की मांग करती चली आ रही है। इससे ध्यान हटाने के लिए ही नए भू कानून का एजेंडा चलाया जा रहा है। भाकपा माले के गढ़वाल सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि यह आर एस एस का एजेंडा। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया सलाहकार का भू कानून के साथ खड़े होने से साफ है कि सोशल मीडिया में भू कानून हैश टैग ट्रैड कहां से कर रहा है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार का मुख्य एजेंडा जमीनों की खरीद - फरोख्त का रास्ता आसान बनाना ही है। जिसमें कांग्रेस का भी उसको सहयोग प्राप्त है। अखिल भारतीय किसान सभा ने संशोधित भू कानून के खिलाफ देहरादून में विरोध प्रदर्शन भी किया था लेकिन तब भू कानून चाहने वाले कहीं नजर नहीं आए और अब जब विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने जा रहा और छह महीने में चुनाव होने जा रहा है तो भाजपा सरकार की पांच साल कारगुज़ारियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भू कानून का एजेंडा फेंक दिया गया है।

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