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देश का पहला संस्कृत चैनल खुलेगा संस्कृत विश्वविद्यालय में


सचिव संस्कृत शिक्षा उत्तराखण्ड शासन विनोद प्रसाद रतूड़ी के सानिध्य में आयोजित बैठक में संस्कृत चैनल खोलने से सम्बंधित समस्त दस्तावेज उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी ने उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को सौंप दिए।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। सचिव संस्कृत शिक्षा उत्तराखण्ड शासन विनोद प्रसाद रतूड़ी के सानिध्य में आयोजित बैठक में संस्कृत चैनल खोलने से सम्बंधित समस्त दस्तावेज उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी ने उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को सौंप दिए। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता में संस्कृत शिक्षा सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी ने बताया कि उत्तराखण्ड में संस्कृत चैनल की स्थापना करने से देवभूमि की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को प्रचार मिलेगा। यह हम सभी के लिए अच्छा अवसर है कि हम संस्कृत चैनल के माध्यम से संस्कृत के गूढ़ ज्ञान को आम जनमानस तक पहुचाने में सफल हो पाएंगे। संस्कृत शिक्षा सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित हो रहे इस संस्कृत चैनल का नाम "संस्कृत संस्कृति" होगा। चैनल को चलाने के लिए सभी संसाधनों का प्रयोग किया जाएगा। कार्यक्रमों का प्रसारण संस्कृत में किया जाएगा,जिसमें संस्कृत नाटक, गीत,कहानियां,उत्तराखण्ड के पर्यटक स्थल, आध्यात्मिक स्थल, आरतियों का सजीव प्रसारण भी चैनल द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत अकादमी द्वारा इस चैनल से सम्बंधित होमवर्क पूर्णकर विश्वविद्यालय को सौंपा गया है। 2014 में अपर मुख्य सचिव संस्कृत शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में पहली बार चैनल खोलने के प्रस्ताव को लाया गया,जिसमें संस्कृत के विद्वानों, विशेषज्ञों,गणमान्य जनों के सुझाव प्राप्त किये गए थे,स्थानीय चैनल प्रचालकों के साथ विचार विमर्श के बाद इस कार्य को आगे बढ़ाया गया। चैनल के निर्माण हेतु प्राप्त प्रस्तावों को फर्मों, कंपनियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा खोला गया। उन्होंने बताया कि संस्कृत चैनल को खोलने की अवधारणा में संस्कृत का प्रचार प्रसार करना है, लोग संस्कृत के गहन पक्ष को जान सकेंगे।संस्कृत विश्वविद्यालय को चैनल सौंपने का उद्देश्य पठन पाठन और शिक्षा का विस्तार से है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के वित्त विभाग में चैनल का खाता खोला जाएगा। कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि चैनल को चलाने के लिए इसके संसाधन विकसित किये जायेंगे,आय और व्यय के संसाधन जुटाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, उत्तराखण्ड शासन तथा भारत सरकार के मंत्रालय से अनुरोध किया जाएगा। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ आनन्द भारद्वाज ने अकादमी के कार्यक्रमों का समस्त विवरण प्रेस वार्ता में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के सदस्य सेवानिवृत्त उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीश लोकपाल सिंह ने संस्कृत चैनल की स्थापना के लिए ग्यारह हजार , संस्कृत शिक्षा सचिव ने 11 हजार,कुलपति त्रिपाठी, डॉ शिव प्रसाद खाली,डॉ आनन्द भारद्वाज सचिव अकादमी ने भी ग्यारह हजार तथा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य विवि कार्यपरिषद के सदस्य डॉ ओम प्रकाश भट्ट ने इक्यावन सौ रुपये की राशि,राजेन्द्र प्रसाद गैरोला ने 51 00 सौ रुपये प्रदान किये। इस अवसर पर कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, विवि कार्यपरिषद के सदस्य प्रोफेसर दिनेश चन्द्र शास्त्री, डॉ दिनेश चमोला,प्रोफेसर कमला पंत ,वित्त नियंत्रक श्रीमती हिमानी स्नेही,कन्हैया राम सार्की, डॉ हरीश चंद्र तिवाड़ी,डॉ शैलेश कुमार तिवारी, रामप्रसाद थपलियाल सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

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