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"हरिद्वार में भूमाफिया का बोलबाला"अरबों की सार्वजनिक/ सरकारी सम्पतियों को नगर निगम के खातों में निजी संपत्ति के रुप मे दर्ज करने का खेल"


बैखोफ "माफिया" तमाम नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाकर अपने राजनीति प्रभाव व धनबल का इस्तेमाल कर "अरबों की सरकारी सम्पतियों पर लगातार कब्जे कर रहे हैं |

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) कोरोना महामारी में भले ही आम नागरिक पूरी तरह आर्थिक स्थित से टूट चुका हो लेकिन इस काल मे भी बैखोफ "माफिया" तमाम नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाकर अपने राजनीति प्रभाव व धनबल का इस्तेमाल कर "अरबों की सरकारी सम्पतियों पर लगातार कब्जे कर रहे हैं | यहाँ चिंता का विषय ये है की जिन जिम्मेदार अधिकारियों(सरकारी मशीनरी) पर नियम/आदेशों का पालन कराने की जिम्मेदारी है| वही सार्वजनिक हित को दरकिनार कर अपने निजिहित में माफियाओं को बढ़ावा दे" सार्वजनिक संपतियों को नष्ट करने में लगे हैं। कहते हैं स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र की बुनियाद है और सरकारी मशीनरी की ड्यूटी है कि वह नियम कानून के प्रति समर्पित रहे लेकिन ऐसा नहीं है हमारे यहाँ आज भी दोहरा कानून लागू है एक असहाय व गरीबों के लिए जिसके पास कोई संसाधन नहीं तो दूसरा अमीर व शक्तिशाली लोगों के लिए जिनके पास धनबल औऱ राजनीति शक्ति है। उल्लेखनीय है की माननीय उच्चतम न्यायालय स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी सार्वजनिक संपत्ति पर धर्म की आड़ में भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता और यदि इस तरह का कोई अतिक्रमण सरकारी/सार्वजनिक भूमि पर किया जाता है तो उसे तत्काल ध्वस्त करने का प्रबधान है | इसी तरह माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड औऱ उत्तराखण्ड "शासन"ने समय समय पर आदेश पारित कर सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त के निर्देश पारित किए हुए हैं लेकिन बिडम्बना देखिये की यह समस्त आदेश आज भी सरकारी दफ्तरों में रखी अलमारियों में धुलफांक रहे हैं जिन विभागीय अधिकारियों को नियम कानून के प्रति समर्पित होना चाहिये वही तमाम नियम आदेशों को दरकिनार कर अपनी मनमानी करते हुए अरबों-खरबों की सार्वजनिक कुंभमेला भूमि को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कुंभमेला भूमि में अधिकतर सम्पति सिंचाई विभाग की है हरिद्वार के ग्राम हरिपुरखुर्द से ग्राम शेखुपुरा कनखल तक गँगा किनारे समस्त भूमि लावारिस रूप में विभाग ने भूमाफिया के लिए खुली छोड़ रखी है| इस भूमि पर विभाग को कोई नियंत्रण नहीं है और ना ही विभाग ने कभी अपनी भूमि को सुरक्षित किया | यही वजह है कि भूमाफिया आये दिन सरकारी सम्पतियों पर कब्जे कर रहें है और इस खेल में भूमाफिया के साथ सरकारी मशीनरी और सफेदपोश लिप्त हैं कब्जे की इसी कड़ी में कनखल गँगा किनारे स्थित एक कथित धार्मिक संस्था"महानंद मिशन होम सर्विस" ने धर्म की आड़ में करीब 80 हजार वर्गफीट सार्वजानिक भूमि पर कब्जा कर लिया है | इस कथित संस्था ने नगर निगम के अधिकारियों से गठजोड़ बनाकर निगम में जो स्वकर-निर्धारण फार्म जमा किया है उसमें 80 हजार वर्गफीट भूमि संस्था की मलकियत की होना बताया है| इसी तरह अनेक लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्जे करने के बाद नगर निगम में जो स्वकर निर्धारण फार्म जमा किये है उनके साथ कोई भी भूमि स्वामित्व सम्बन्धी अभिलेख सलग्न नहीं किया जाता है | नगर निगम के अधिकारियों ने मात्र फार्म को आधार मानकर सरकारी भूमि को निजी खातों में दर्ज करना भी शुरू कर दिया है | इस पूरे खेल में एक चर्चित प्रभाशाली नेता और उसके इशारे पर गैर कानूनी कार्य कर रहे उसके सफेदपोश गुर्गों के साथ सरकारी अधिकारीयों की भूमिका चर्चाओं में है।

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