शà¥à¤°à¥€ माता वैषà¥à¤£à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¨ में महंत दà¥à¤°à¥à¤—ा दास महाराज ने वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ गà¥à¤°à¥ का पूजन किया गà¥à¤°à¥ इस अवसर पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि अगर गà¥à¤°à¥ नहीं तो शिषà¥à¤¯ à¤à¥€ नहीं, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ गà¥à¤°à¥ के बिना शिषà¥à¤¯ का कोई असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं होता है।
रिपोर्ट - रामेशà¥à¤µà¤° गौड़
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ माता वैषà¥à¤£à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¨ में महंत दà¥à¤°à¥à¤—ा दास महाराज ने वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ गà¥à¤°à¥ का पूजन किया गà¥à¤°à¥ इस अवसर पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि अगर गà¥à¤°à¥ नहीं तो शिषà¥à¤¯ à¤à¥€ नहीं, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ गà¥à¤°à¥ के बिना शिषà¥à¤¯ का कोई असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं होता है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से गà¥à¤°à¥ और उनका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परंपरा और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में गà¥à¤°à¥ अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में दिया करते थे। गà¥à¤°à¥ से शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ शिषà¥à¤¯ उनके पैर सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करके उनका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेते थे। गà¥à¤°à¥ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ माता – पिता से अधिक होता है।