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गढ़वाल चैप्टर द्वारा "सीमित प्राकृतिक संसाधन और अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि" विषय पर एक दिवसीय वेबिनार


वेबिनार में मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के चांसलर व अंतर्राष्ट्रीय गुडविल सोसाइटी के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. योगेंद्र नारायण और मुख्य वक्ता गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह मौजूद रहे| वेबिनार की अध्यक्षता गढ़वाल विशविद्याल की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के द्वारा गयी।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

अंतरराष्ट्रीय गुडविल सोसायटी के गढ़वाल चैप्टर द्वारा "सीमित प्राकृतिक संसाधन और अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि" विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया| इस वेबिनार में मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के चांसलर व अंतर्राष्ट्रीय गुडविल सोसाइटी के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. योगेंद्र नारायण और मुख्य वक्ता गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह मौजूद रहे| वेबिनार की अध्यक्षता गढ़वाल विशविद्याल की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के द्वारा गयी। विषय पर परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय गुडविल सोसाइटी के गढ़वाल चैप्टर के अध्यक्ष प्रोफेसर एम.एम सेमवाल ने कहा कि भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुद्दा सड़क से लेकर संसद तक का चर्चा का विषय रहा है। आजादी के बाद से ही इस विषय पर काम शुरू किया गया था। जनसंख्या विस्फोट कई समस्याओं को उत्पन्न करता है और सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों की असफलता का एक बड़ा कारण जनसंख्या वृद्धि भी रहती है| प्रोफ़ेसर सेमवाल ने कि भारत की 68 फीसदी जनसंख्या 39 वर्ष से कम आयु वर्ग की है जो कि कार्यशील जनसंख्या मानी जाती है। यह युवा जनसंख्या देश के विकास में आवश्यक तत्व भी बन सकती है तो बाधा का कारण भी बन सकती है, जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। वेबिनार के मुख्य वक्ता गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस.पी.सिंह ने कहां की जनसंख्या के विषय को लेकर 2021 में बहस की प्रकृति बदलती दिख रही है| आज हम इस मुद्दे पर बात करते हैं कि कठोर कानून निर्माण कर देश में कड़ाई से लागू कर देश के नागरिकों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए मजबूर किया जाए| दक्षिण भारत के राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है जबकि उत्तर भारत के राज्य खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार आज भी जनसंख्या विस्फोट की तरफ बढ़ रहे हैं| जब देश और क्षेत्र के भीतर जनसंख्या समूह अलग-अलग दरों पर बढ़ते हैं तो भय और संघर्ष उत्पन्न होते हैं क्योंकि लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व चुनाव के माध्यम से होता है । इसलिए जनसंख्या गणना महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाती है। प्रोफ़ेसर सिंह कहते हैं कि युवा वर्ग और बढ़ती जनसंख्या को एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वैश्वीकरण के संदर्भ में भारतीय युवा आबादी एक कुशल श्रम शक्ति प्रदान करके पूंजीवाद के विकास में मदद करती है। वे कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण के स्वस्थ तरीके हमें ढूंढने होंगे केवल नीतियों के लागू करने से ही नहीं बल्कि जनसंख्या जागरूकता, स्वास्थ्य अभियान चलाए जाने की भी आवश्यकता है | आयोजन समिति में वेद भरत शर्मा, डा एस सी सती,, प्रोफ़ेसर सीमा धवन, डॉ प्रीतम सिंह नेगी, डॉ विजय सिंह बिष्ट, डॉक्टर सोमेश थपलियाल ,डॉ वरुण बर्थवाल , डॉक्टर अरुण शेखर बहुगुणा, डा गंभीर सिंह कठैत, पुरुषार्थ सेमवाल, ,डॉ मीना सेमवाल, देव कृष्ण थपलियाल, प्रोफेसर के रत्नम, मेंबर सेक्रेट्री, प्रो हर्ष डोभाल ,डॉ विजय सेमवाल, डॉ कविता भट ,विनोद भट, डॉ जग मोहन नेगी, डॉ प्रदीप अंथ्वाल, प्रोफ़ेसर नीता बोरा, प्रोफेसर राजवीर सिह दलाल, डॉक्टर राजेंद्र भाकुनी, प्रोफ़ेसर काशीनाथ जेना, डॉ पंकज चक्रवर्ती , डॉ मनोज कुमार ,डा नरेश कुमार ,डॉ राकेश नेगी, प्रशांत थपलियाल, डा निभा राठी,सहित लगभग 346 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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