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शहरी विकास सचिव को देनी होगी 5000 रुपए की क्षतिपूर्ति सूचना आयोग ने बरकरार रखा चार साल पुराना आदेश


उत्तराखंड सूचना आयोग ने शहरी विकास सचिव के खिलाफ ₹5000 क्षतिपूर्ति अदा करने का 4 साल पुराना आदेश बरकरार रखा है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

हरिद्वार। उत्तराखंड सूचना आयोग ने शहरी विकास सचिव के खिलाफ ₹5000 क्षतिपूर्ति अदा करने का 4 साल पुराना आदेश बरकरार रखा है। राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई ने 4 अगस्त को जारी अंतरिम आदेश में लोक प्राधिकारी, सचिव शहरी विकास के विरुद्ध 4 दिसंबर 2017 को पारित 5000 रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश बरकरार रखा है और एक माह के अंदर क्षतिपूर्ति देने का निर्देश, आदेश दिया है। रतनमणी डोभाल बनाम लोक प्राधिकारी, सचिव शहरी विकास उत्तराखंड शासन के विरुद्ध शिकायत धारा 18 (1) ,(एफ) के अंतर्गत 15 अक्टूबर 2020 को दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई 4 अगस्त को हुई। लोक प्राधिकारी, शैलेश बगोली सचिव शहरी विकास विभाग उत्तराखण्ड शासन ने दिसंबर 2017 में पारित क्षतिपूर्ति देने के आदेश के खिलाफ सूचना आयोग में लिखित आख्या प्रस्तुत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि शहरी विकास विभाग में इस प्रकार की क्षतिपूर्ति के भुगतान का कोई मद नहीं है इसलिए अपीलकर्ता को क्षतिपूर्ति का भुगतान नगरपालिका परिषद मंगलौर के बजट से किया जा सकता है। उन्होंने क्षतिपूर्ति संबंधी आदेश का पुनरीक्षण करने का अनुरोध भी आयोग में किया था। राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाई ने अपने आदेश में कहा है कि लोक प्राधिकारी की आख्या सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधिसम्मत नहीं है। आयोग ने इस संबंध में पटना हाईकोर्ट के एक आदेश का भी उल्लेख किया है कि सूचना आयोग को पुनरीक्षण का अधिकार नहीं है। यह प्रकरण नगर निकायों में एल ई डी लाइटों की खरीद में पत्रकार रतनमणी डोभाल ने विभिन्न नगर निकायों में घोटाला किए जाने तथा जांच कराने का मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत, शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार, शहरी विकास सचिव आदि से की थी। आरोप था कि सेम एल ई डी लाइट एक निकाय 5000 रुपए में खरीद रही है तो दूसरी निकाय 21 हजार, 19 हजार रुपए में खरीद रही है। इस शिकायत पर तत्कालीन शहरी विकास मंत्री ने जांच का आदेश दिया था और मुख्यमंत्री ने फाइनेंस कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया था। फाइनेंस कमेटी ने नगर निगम हरिद्वार, रुड़की, नगरपालिका परिषद मंगलौर, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल की जांच कर शासन को प्रस्तुत रिपोर्ट में 52 लाख 50 रुपए का घोटाला होना पाया बताया। इस जन-धन वसूली तथा भ्रष्ट निकाय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। इस बीच चुनाव हुए और त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार बनी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस नीति का ऐलान किया। उत्साहित होकर पत्रकार रतनमणी डोभाल ने मुख्यमंत्री तथा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को पूरा भ्रष्टाचार का पूरा विवरण तथा फाइनेंस कमेटी की जांच रिपोर्ट भेजकर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को सबक सिखाने और धन की वसूली की मांग की। ताज्जुब की बात यह है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति वाली त्रिवेंद्र सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को ही पलटने का काम किया। ईमानदारी के लिए विख्यात शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भ्रष्टाचार के दोषियों को अपना आशीर्वाद दिया और लाखों का घोटाला दबा दिया। शहरी विकास विभाग की ओर से इस पर सूचना आयोग में बताया गया है कि इस प्रकरण कार्रवाई के संबंध में विधि विभाग से राय ली जा रही है लेकिन उसने कोई राय अभी नहीं दी है।

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