Latest News

नई किस्म की राजनीति


उत्तराखण्ड की जनता को छलने की भाजपा व कांग्रेस की राजनीति के साथ एक राजनीतिक साझीदार आ धमका है। वहीं चाल, वहीं चलन।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

उत्तराखण्ड की जनता को छलने की भाजपा व कांग्रेस की राजनीति के साथ एक राजनीतिक साझीदार आ धमका है। वहीं चाल, वहीं चलन। एक नई किस्म की राजनीति शुरू हुई है। मुख्यमंत्री भी घोषित हो गया है देश भक्त भी। कारगिल युद्ध चार गोलियों से छलनी छाती भी दिखा दी है। सेना में 10 हजार युवाओं को भर्ती कराने की कीमत वोट के रूप में वसूलने का एलान भी हो चुका है। जैसे वह नहीं होता तो सेना में भर्ती ही नहीं होती ?। उत्तराखण्ड को भविष्य के उजाले की ओर नहीं भविष्य के अंधेरे में धकेलने के लिए अध्यात्म की राजधानी बनाने का एलान हो गया है। उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य, रोजगार, पलायन, शिक्षा, जल, जंगल, जमीन, पर्यावरण, पर्वतीय खेती के विकास पर कोई बात नहीं की जा रही है। हर मर्ज की दवा अध्यात्म है तो फिर परेड ग्राउंड का नाम बदलना पड़ेगा वहां तो परेड के लिए नहीं अध्यात्म के लिए लोग आएंगे। जनता के सवालों पर बात ही नहीं करनी है केवल हवाबाजी कर जनता को छलने के इरादे से दिल्ली छोड़कर पहाड़ चढ़ने की नाकाम कोशिश साबित होगी। 21 साल के उत्तराखंड के पास जनरल टीपीएस रावत, बीसी खंडूड़ी,जीएस नेगी, मनमोहन लखेड़ा आदि का अनुभव भी है। जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल की जगह पर कर्नल को लाया गया है। मुख्यमंत्री घोषित करना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला करना है। संविधान में जनता को अपना जनप्रतिनिधि विधायक तथा सांसद चुनने का अधिकार दिया गया है। इसी प्रकार चुनाव के बाद जिस पार्टी के अधिक विधायक तथा सांसद चुने जाते हैं उन्हें अपना नेता चुनने का अधिकार है। नई किस्म की राजनीति में विधायकों तथा सांसद को अपना नेता चुनने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। भाजपा व कांग्रेस में यह अधिकार दिल्ली व नागपुर में बैठी हाईकमान के पास सुरक्षित रहता है। खुजलीवाल (अरविंद केजरीवाल) तो खुद ही हाईकमान हैं और उन्होंने कह दिया है उत्तराखण्डियों यह तुम्हारी मुख्यमंत्री भी है और देशभक्त भी। बिजली का 300 यूनिट का झटका देकर उत्तराखंड को बेहोश करने की योजना बनाने वाले आप नेता को बताना चाहिए कि दिल्ली की जनता ने भाजपा व कांग्रेस को हराकर कर जनतंत्र का इतना बड़ा मैनडेट (बहुमत) दिया और जब दिल्ली में दंगे हुए तो आप कहां थे ?। दंगाग्रस्त इलाकों में क्यों नहीं गए ?। सरकारिया आयोग ने राज्यों के अधिकार तय कर रखें हैं। जनता द्वारा निर्वाचित दिल्ली की सरकार के सारे अधिकार केंद्र सरकार ने लेफ्टिनेंट गवर्नर के हवाले कर म्युनिसिपैलिटी को प्राप्त अधिकार से पीछे धकेल दिया और इतना बड़ा मैनडेट पास होने के बाद भी कुछ नहीं कर पाएं। दिल्ली की जनता के अधिकारों के लिए आप जंतर-मंतर पर हल्ला बोलने क्यों नहीं गए ?। सुप्रीमकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए डीजीपी आस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ आपकी चुप्पी हैरान करने वाली है। इस अवैध नियुक्ति के खिलाफ जंतर-मंतर नहीं गए। इससे पता चलता है कि आपने भाजपा व कांग्रेस से धंधेबाजी सीख ली है।

Related Post