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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का सप्तम दीक्षांत समारोह


सप्तम दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल निशंक ,मानव संसाधन मंत्री भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ योगेंद्र नारायण एवं कुलपति प्रोफ़ेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने एफडीसी एवं महिला छात्रावास के विस्तार कार्य का शिलान्यास किया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सप्तम दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल निशंक ,मानव संसाधन मंत्री भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ योगेंद्र नारायण एवं कुलपति प्रोफ़ेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने एफडीसी एवं महिला छात्रावास के विस्तार कार्य का शिलान्यास किया। दीक्षांत समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के बाद वंदे मातरम से हुआ। मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि मेरा उत्तराखंड जन कल्याण के लिए सृजन का प्रतीक है। मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मैं अपनी आस्था ,आध्यात्म, सौंदर्य और शौर्य से सजे प्रदेश उत्तराखंड के इस विश्वविद्यालय में अपने छात्र छात्राओं के बीच इस आयोजन का हिस्सा बनकर उपस्थित हूं। उन्होंने कहा कि हिमालय में ज्ञान है, विज्ञान है ,वेद है ,आयुर्वेद है, संस्कृति है , सोच और शौर्य है। उत्तराखंड के जन मानस ने देश दुनिया में अपनी योग्यता को सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय तो ऐसा है, जहां गंगा ,हिमालय ,पर्यावरण, संस्कृति ,संस्कृत ,पुरातत्व, वानिकी व योग जैसे अनेक विषयों की प्रयोगशाला तो प्रकृति में ही निहित है। विश्वविद्यालय में हमें प्रयोगात्मक अध्ययन की पूर्ति प्रकृति एवं परिवेश में ही मिलती है। मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय वैज्ञानिक अध्ययन के नए आयाम स्थापित करेगा । उन्होंने शिक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपनी लगन व दृढ़ता से ऐसे मानव संसाधन बनें जो देश दुनिया की प्रगति में सबसे आगे विश्व कल्याण के लिए स्वयं को स्थापित कर सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने 2 वर्ष के भीतर जो उपलब्धियां हासिल की उसके लिए विश्वविद्यालय की कुलपति बधाई की पात्र हैं। उन्होंने कहा किया कि विश्वविद्यालय प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के हाथों सुरक्षित है । इस अवसर पर भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने संबोधन में कहा कि जिन छात्र-छात्राओं को उपाधि दी जा रही है मैं उन्हें एवं उनके परिजनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि आपके लिए यह उपाधि आज तक साध्य थी ,लेकिन अब यह साधन है। उन्होंने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि योद्धा के लिए कोई मंजिल नहीं होती उनके लिए पड़ाव होते हैं। योद्धा तब तक योद्धा है जब तक वह मंजिल तक नहीं पहुंचता । उन्होंने डी लिट की मानद उपाधि दिए जाने पर विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त किया । विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ योगेंद्र नारायण ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज सप्तम दीक्षांत समारोह में मानव संसाधन मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की उपस्थिति हमारे लिए गौरव का क्षण है । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है इसलिए इस विश्वविद्यालय में डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज का अलग स्कूल होना चाहिए। इसके लिए एनएसए एवं एचआरडी मंत्री भी प्रयास करेंगे ऐसा मेरा उनसे अनुरोध है। उन्होंने कहा कि देश के प्रसिद्ध आईआईटी, आईआईएम, इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु आदि के प्रोफेसरों को इस विश्वविद्यालय में बुलाया जाए तथा ज्ञान का आदान प्रदान किया जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों, प्राध्यापकों का आह्वान किया कि हम सब मिलकर इस विश्वविद्यालय को देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की श्रेणी में पहले पायदान पर लाने का प्रयास करेंगे। विश्वविद्यालय की कुलपति ने दीक्षांत समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्व विद्यालय की प्रगति आख्या को विस्तार से रखा । प्रोफेसर नौटियाल ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि हम विश्वविद्यालय को नेक की ए ग्रेड से ए प्लस ग्रेड तक पहुंचाएंगे। दीक्षांत समारोह में पीएचडी ,एमफिल तथा विभिन्न विषयों के कुल 418 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गई । जिनमें 45 छात्रों को गोल्ड मेडल दिए गए । अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एके झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समारोह के बाद भारतीय हिमालयी राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के संघ की स्थापना एवं प्रथम अंतरा फलक बैठक का आयोजन एचआरडी मंत्री की अध्यक्षता में किया गया । जिसमें हिमालयी राज्यों के कुलपतियों के साथ पर्यावरण, रोजगार ,सुरक्षा एवं इन राज्यों की महत्ता पर सार्थक चर्चा हुई । एचआरडी मंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों की आवश्यकता के अनुसार स्थाई समस्याओं पर शोध होने चाहिए । उन्होंने जैविक खेती ,पर्यावरण ,सुरक्षा, हिमखंडों के संरक्षण, जड़ी-बूटी उत्पादन, जैव विविधता एवं पुष्प उत्पादन पर शोध कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस मौके पर कुलाधिपति डॉ योगेंद्र नारायण ,कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल, विभिन्न संकायों के संकाय अध्यक्ष उपस्थित थे।

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