हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संतोषानंद जी के पास बैठा था वैसे तो अकà¥à¤¸à¤° मैं यहाठआता रहता था और घंटो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के साथ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर चरà¥à¤šà¤¾ होती रहती थी लेकिन कà¤à¥€ à¤à¥€ वहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी के मंदिर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करने नही गया न ही वहाठके माहातà¥à¤®à¥à¤¯ को जानने की कोशिश की हालांकि मंगलवार को वहाठअकà¥à¤¸à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¥œ लगी रहती थी ।
रिपोर्ट - सचिन तिवारी
मानो तो à¤à¤—वान नहीं तो पतà¥à¤¥à¤° , बचपन से यह बात सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ आ रहा हूठलेकिन इसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· उदाहरण मà¥à¤à¥‡ देखने को मिला, बात पिछले मंगलवार की थी मैं हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संतोषानंद जी के पास बैठा था वैसे तो अकà¥à¤¸à¤° मैं यहाठआता रहता था और घंटो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के साथ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर चरà¥à¤šà¤¾ होती रहती थी लेकिन कà¤à¥€ à¤à¥€ वहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी के मंदिर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करने नही गया न ही वहाठके माहातà¥à¤®à¥à¤¯ को जानने की कोशिश की हालांकि मंगलवार को वहाठअकà¥à¤¸à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¥œ लगी रहती थी । उस दिन à¤à¥€ मंगलवार था रात के लगà¤à¤— 9 बजने वाले थे मैं सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के साथ रात का à¤à¥‹à¤œà¤¨ वही आशà¥à¤°à¤® में खा कर घर जा रहा था जैसे ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के कमरे से बाहर निकला सामने ही à¤à¤—वान हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ थी दो तीन लोग अपने मोबाइल से सेलà¥à¤«à¥€ ले रहे थे , लेकिन मेरी नजर उन लोगों पर नहीं पड़ीं बलà¥à¤•à¤¿ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ जी की विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पर पड़ी थी , मà¥à¤à¥‡ नही पता लेकिन मेरे पैर अनायास ही मंदिर की ओर बॠगà¤, मैं अब बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤—वान की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के सामने था , मेरे सामने हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® मूरà¥à¤¤à¤¿ खड़ी थी और मैं à¤à¤•à¤Ÿà¤• उनको देखे जा रहा था à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था पà¥à¤°à¤à¥ मà¥à¤à¥‡ अपनी ओर खींच रहे हैं । अचानक घंटा बजने की आवाज आती है और मेरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मूरà¥à¤¤à¤¿ से हटकर घंटे को बजाने वाले पर गया à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने छोटे से बचà¥à¤šà¥‡ को लेकर घंटा बजा रहा था पास में ही à¤à¤• औरत हाथ जोड़े आंखों को बंद किठà¤à¤—वान से मन ही मन कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ कर रही थी , मैने à¤à¤• नजर उनकी तरफ देखा फिर मेरी नजर à¤à¤—वान की मूरà¥à¤¤à¤¿ पर गई मैं सोच रहा था अगर देखा जाठलोगों की शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही तो है जो à¤à¤—वान को à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° में आने को मजबूर कर देता है, इस हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की बड़ी रोचक कहानी है । हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की बात की जाठतो इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की बड़ी अदà¥à¤à¥à¤¤ कथा है हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के समय लाखों लोगों ने कागजों तथा कॉपी में 1111 लाख राम नाम मंतà¥à¤° लिखे थे, यह सà¤à¥€ कागज तथा कॉपी को पवितà¥à¤° गंगाजल में कई दिन à¤à¤¿à¤—ोया गया उसके बाद इसी पवितà¥à¤° गंगाजल को सीमेंट बालू में मिलाकर मसाला तैयार किया गया और इसी मसाले से à¤à¤—वान हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया, लाखों लोगों की शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से यह विधि विधान पूरà¥à¤µà¤• हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की मूरà¥à¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाकर पà¥à¤°à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा करके सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गई तब से ही यह हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर सिदà¥à¤§ पीठके रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†, जो à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ यहां शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ से आकर शà¥à¤°à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ करता है उसकी मनोकामना अवशà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ होती है। अगर बात की जाठअवधूत मंडल की तो अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® सेवा à¤à¤µà¤‚ पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° नगरी में अपनी विशेष पहचान रखता है यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ रमणीय पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है, अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® जरूरतमंद गरीब लोगों के लिठधरà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¥ असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² à¤à¥€ चला रहा है आशà¥à¤°à¤® में गौशाला à¤à¥€ है जिसमें हमेशा गौ माता की पूरà¥à¤£ रूप से सेवा की जाती है आशà¥à¤°à¤® के निकट गंगा जी के किनारे बना हà¥à¤† घाट अवधूत मंडल घाट के नाम से जाना जाता है आशà¥à¤°à¤® की ओर से संतो बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ वेद पारà¥à¤Ÿà¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मà¥à¤«à¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ रहने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ और दवाइयों पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाती है इस आशà¥à¤°à¤® में गौ सेवा संत सेवा वेद पारà¥à¤Ÿà¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ सेवा विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सेवा रोगी वृदà¥à¤§ सेवा जैसे रहना खाना कपड़े दवाई इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ निशà¥à¤²à¥à¤• सेवा पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाती है। यह रामानंदी निरंकारी वैषà¥à¤£à¤µ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤¥à¤¾ है इस संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ आचारà¥à¤¯ बाबा सरयूदास जी ने की थी इसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ लगà¤à¤— 200 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ हà¥à¤ˆ थी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥€à¤¨ शà¥à¤°à¥€ आचारà¥à¤¯ बाबा सरयू दास जी महाराज के शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने बसंत पंचमी दिनांक 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1830 अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी, बाबा सरयू दास जी महाराज की मूल तपोसà¥à¤¥à¤²à¥€ पटियाला पंजाब में है उस समय à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• अखंडित राषà¥à¤Ÿà¥à¤° था। बाबा सरयू दास जी महाराज के शिषà¥à¤¯ बाबा हीरा दास जी अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• तथा पà¥à¤°à¤¥à¤® अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रहे उसके बाद पीठाधीशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ गोपाल देव , सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामेशà¥à¤µà¤° देव ,सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ महेशà¥à¤µà¤° देव, तथा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ जी गà¥à¤°à¥ शिषà¥à¤¯ परंपरा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आशà¥à¤°à¤® के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनते रहे और अब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संतोषानंद देव जी अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· हैं ,सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संतोषानंद देव जी महाराज हिंदू धरà¥à¤® के विषय में जागरूकता पैदा कर उसके पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° का महान सामाजिक कारà¥à¤¯ कर रहे हैं, संपूरà¥à¤£ समाज में से हमारी मूल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को धीरे-धीरे पतन होता देख सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी बड़े चिंतित रहते हैं हमारे हिंदू धरà¥à¤® और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को बचाने हेतॠतथा उनके विकास हेतॠसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ केदारनाथ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ सोमनाथ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ वृंदावन वाराणसी तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤—ों में आशà¥à¤°à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का दृढ़ संकलà¥à¤ª किया है। यह समय धरà¥à¤® तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिठबहà¥à¤¤ ही कठिन समय है लोगों की धरà¥à¤® तथा संतो के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ कम हो रही है और इसी कारण से दान का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ कम हो रहा है अवधूत मंडल आशà¥à¤°à¤® केवल दान किया है पर ही चल रहा है और इन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आशà¥à¤°à¤® तथा इसकी शाखाà¤à¤‚ चलाना बड़ा कठिन हो रहा है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने इस महान तथा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾ को बचाने के लिठइन कठिन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से लड़ने का निरà¥à¤£à¤¯ किया है सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर आशà¥à¤°à¤® बनाकर अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤µà¤‚ समाज के लिठ200 à¤à¤•à¤¡à¤¼ जमीन खरीद कर गौशाला कालेज असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² वृदà¥à¤§ आशà¥à¤°à¤® विधवा आशà¥à¤°à¤® अनाथ आशà¥à¤°à¤® विकलांग आशà¥à¤°à¤® इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ समाज कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हेतॠबनवाने का दृढ़ संकलà¥à¤ª किया है । निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से इस समय जबकि सब अपना अपना देख रहे हैं और कई साधू सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनैतिक काम किठजा रहे है à¤à¤¸à¥‡ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चलाई जा रही मà¥à¤¹à¤¿à¤® अपने आप मे à¤à¤• सराहनीय कारà¥à¤¯ है शायद यह उस सिदà¥à¤§ पीठऔर à¤à¤—वान हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ ही है जो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को यह सब कारà¥à¤¯ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ और संकलà¥à¤ª की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता है ।