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मातृसदन पिछले 20 सालों से अधिक समय से सतत पर्यावरण के सरंक्षण और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्षरत है|


गंगा जी के लिए जिनको पिछले कई दशकों से मनुष्य के स्वार्थ, लालच और हिंसा का दंश झेल रही हैं,जिसके लिए मातृसदन अहिंसात्मक आन्दोलन कर रही है अब तक 66 बार अनशन हो चुका है,ये 67वां अनशन है| इन अनशनों की अवधि एक दिन से लेकर 194 दिनों तक की है|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

मातृसदन पिछले 20 सालों से अधिक समय से सतत पर्यावरण के सरंक्षण और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्षरत है| खासकर गंगा जी के लिए जिनको पिछले कई दशकों से मनुष्य के स्वार्थ, लालच और हिंसा का दंश झेल रही हैं,जिसके लिए मातृसदन अहिंसात्मक आन्दोलन कर रही है अब तक 66 बार अनशन हो चुका है,ये 67वां अनशन है| इन अनशनों की अवधि एक दिन से लेकर 194 दिनों तक की है| कुल मिला कर अब तक लगभग 2500 दिन यानी लगभग 7 वर्ष सिर्फ अनशन के होंगे| शुरू शुरू में कम दिन में ही सरकार चेत जाती थी और बात बन जाती थी, किन्तु धीरे धीरे सरकार पर्यावरण और विशेषकर गंगा जी की आस्था को अर्थ से जोड़ने लगी तो अनशन के प्रति संवेदनशीलता कम होती गयी और अनशन की अवधि बढ़ती चली गयी| साथ ही साथ तपस्यारत सन्यासियों के साथ व्यवहार में क्रूरता आने लगी| इसके चलते वर्ष २००८ में ब्र यजना नन्द जी को कपटपूर्वक उठा कर जेल में डाल दिया. २००९ में ब्र दयानंद जी को रात में कमरे का बल्ब तोड़कर जबरदस्ती उठा कर ले गए | २०११ में तो स्वामी निगमानंद जी की जान ही ले ली| २०१5/16 में श्री गुरुदेव के द्वारा की जा रही तपस्या में आश्रम की यज्ञशाला/पूजागृह में जूते ले कर आये पुलिसकर्मियों अभद्रता की| २०१७ में भी जब श्री गुरुदेव फिर तपस्या रूपी अनशन पर थे और उन्होंने पानी भी छोड़ दिया था तब भी पुलिस आश्रम का में गेट तोड़ते हुए अन्दर घुसी और उनके कमरे का दरवाजा भी तोड़ दिया| २०१८ में स्वामी सानंद जी को भी जबरदस्ती कुर्सी सहित सरकारी कर्मचारी और पुलिस उठा कर अस्पताल ले गए वो शोर मचाते रहे कि मैं ठीक हूँ मुझे कुछ नहीं हुआ है | फिर भी उनकी एक न सुनी और उनकी मौत भी एम्स ऋषिकेश में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई| उसके बाद ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी ने स्वामी सानंद जी की तपस्या को जारी रखा और उन्हें भी एम्स ऋषिकेश जबरदस्ती ले जाया गया, वहीँ पर उन्हें विष दिया किन्तु समय रहते उनको आश्रम ला कर बचा लिया गया| लगभग साधे छह महीने तक उनकी तपस्या चली जब नमामि गंगे के निदेशक ने पत्र दिया कि उनकी मांगो को मान लिया गया है किन्तु इलेक्शन की वजह से 7 दिन का समय माँगा| जब सात दिन सात महीने में बदलने लगे और किसी भी पत्र का जवाब नहीं आया तो साध्वी पद्मावती ने तपस्या शुरू की| उनके साथ भी बड़ा बुरा व्यवहार किया गया और महिला होने के कारण उनके चरित्र पर दाग लगाने की झूठी कोशिश की गयी| कितनी मानसिक यंत्रणा उन्होंने झेली ये भयंकर संघर्ष था| श्री गुरुदेव और ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी बार बार तपस्या करते रहे और सरकार के दुर्व्यवहार को सहन करते रहे मातृसदन कभी पीछे हटने वाला नहीं है|ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी की तपस्या का आज 36वां दिन है उन्होंने अन्न का त्याग कर रखा है और सिर्फ नींबू पानी ले रहें हैं| अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था फ्राइडे फॉर फ्यूचर पूरे विश्व में पर्यावरण सरंक्षण के लिए आवाज़ उठाती है, प्रत्येक फ्राइडे को एक आयोजन करती है जिस में पर्यावरण से सम्बंधित कार्यक्रम करके आम लोगो तक जुड़ा जाता है और पर्यावरण के सरंक्षण हेतु जन जन में प्रसारित किया जाता है| इसी संस्था की सदस्य कु रिधिमा पाण्डेय जो कि चाइल्ड एक्टिविस्ट के नाम से जानी जाती है| दिनांक 18 अगस्त 2021 से मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द जी गंगा जी की रक्षा के लिए तपस्यारत हैं, सरकार ने उनके पिछले अनशन को समाप्त कराने के लिए जो बातें लिखित रूप से मानी किन्तु अपने ही आदेशों का पालन करवाने में नाकामयाब रही| इस तपस्या/आन्दोलन का समर्थन करते हुए रिधिमा पाण्डेय और उनकी टीम एक कार्यक्रम करने जा रही हैं| आप सब से अनुरोध है कि यथासमय परिवार एवं मित्रों समेत कार्यक्रम में भाग लेकर सब का मनोबल बाधाएं|

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