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हर महिला को उसके अधिकार पता हों, ये सुनिश्चित होना चाहिए:उमा घिल्डियाल


श्रीमती उमा घिल्डियाल ने महिलाओं पर बोलते हुए कहा कि सरकारों की ओर से महिलाओं के लिए कानून तो बहुत बनाए गए हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाओं को इनकी जानकारी नहीं है। हर महिला को उसके अधिकार पता हों, ये सुनिश्चित होना चाहिए।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

श्रीनगर में उत्तरजन शाखा की दूसरी बैठक सहधर्मिय चर्य लाइब्रेरी में आयोजित की गई महिला उत्तरजन के केंद्रीय सदस्य लोकेश नवानी की उपस्थिति में किया गया कार्यक्रम का संचालन श्रीमती उमा घिल्डियाल द्वारा किया गया। श्रीनगर में उत्तरजन शाखा द्वारा महिलाओं को लेकर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ सहधर्मिय लाइब्रेरी में लोकेश नवानी द्वारा महिलाओं पर आधारित कविता गायन के साथ किया गया जिसमें महिलाओं के प्रति सोच बदलने की आवश्यकता पर बल दिया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रही श्रीमती उमा घिल्डियाल ने महिलाओं पर बोलते हुए कहा कि सरकारों की ओर से महिलाओं के लिए कानून तो बहुत बनाए गए हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाओं को इनकी जानकारी नहीं है। हर महिला को उसके अधिकार पता हों, ये सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं की शाखा का गठन करना है और उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देना है। इस अवसर पर उपस्थित चेतना थपड़ियाल ने महिलाओं को लेकर कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में पिछले कुछ वर्षों के दरम्यान कानूनी स्तर पर बहुत काम हुआ है, लेकिन तमाम महिलाओं को संविधान प्रदत्त अधिकारों की जानकारी नहीं है, जिससे वे उनके इस्तेमाल से वंचित रह जाती हैं। महिलाओं को अपने अधिकार पता होंगे, तो वे बेहतरी के लिए उनका इस्तेमाल कर सकेंगे। कार्यक्रम में महिलाओं ने अपने विचार रखते हुए सरकार और समाज की महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी बनती है कहा।इसके अलावा ये भी निकलकर आया कि महिलाओं को सबसे पहले खुद के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। महिला सशक्त है, ये अहसास उन्हें खुद करना होगा। इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी, जो प्रगति के लिए बेहद जरूरी है। इस दौरान महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। अपनी पसंद चुनने को हो अधिकार पढ़ाई, कॅरियर, शादी सभी मामलों में महिलाओं को अपनी पसंद की राह चुनने का अधिकार होना चाहिए। इसके अलावा ये भी जरूरी है कि महिलाएं अपने आप को परिवार में अंतिम व्यक्ति के रूप में न देखकर प्रथम व्यक्ति के रूप में देखें। परिवार में महिला और पुरुष के लिए अलग- अलग मानक न हों, सभी को समान समझा जाना चाहिए। इसमें बड़ी भूमिका महिलाओं को ही निभानी होगी। तभी सही मायने में सशक्तीकरण होगा। इस अवसर पर कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाएं व ब्रह्मकुमारी बहनों सहित, वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती गंगा असनोड़ा, संगीता फारसी, राधा मेंदोली,उपासना भट्ट, अमीषा भट्ट, जयंती कुंवर, रश्मि रतूड़ी, वीना कंडारी, आशा पैन्यूली, कु0 चेतना,कु0 गौरी, निकेश वर्मा, प्रभाकर बाबुलकर, सत्यजीत खण्डूड़ी, डॉ0 सुभाष पांडे आदि उपस्थित रहे।

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