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श्रीनगर में विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानवाधिकार व महिला सुरक्षा" विषय पर परिचर्चा


हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानवाधिकार व महिला सुरक्षा" विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। हैदराबाद और उन्नाव की घटनाओं ने महिला सुरक्षा के विषय को फिर से विमर्श के केंद्र में ला दिया है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में विश्व मानवाधिकार दिवस पर "मानवाधिकार व महिला सुरक्षा" विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। हैदराबाद और उन्नाव की घटनाओं ने महिला सुरक्षा के विषय को फिर से विमर्श के केंद्र में ला दिया है। परिचर्चा में भाग लेते हुए स्नातक के छात्र दाऊद मेहर अंसारी ने कहा कि महिलाओं के साथ घरों के बाहर व अंदर अपराध हो रहे है। इन से बचने के लिए समाज को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। हर्षित गाड़िया ने कहा कि हमे अपनी न्यायपालिका पर भरोसा करना होगा और सरकार को उसमे सुधार करने की आवश्यकता है ताकि जल्दी न्याय मिल सके। शोध छात्रा प्रियंका पहुआ ने कहा कि महिलाओं को अपने निर्णय स्वयं लेने का अधिकार देना होगा और महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार होने चाहिए ताकि वो इतनी सशक्त बने कि समाज की मानसिकता बदलने में अपना योगदान दे सके। मनस्वी सेमवाल ने कहा कि परिवार में महिला और पुरुष दोनों को संस्कार देने की जरूरत है। और इसके साथ ही महिला पुरुष के बीच भेदभाव की मानसिकता को खत्म करने की आवश्यकता है। डॉ० मनीष मिश्रा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा की खबरें महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक रही है। ये खबरें समाज मे अपना व्यापक प्रभाव डाल रही है। जिस से अन्य महिलाओं पर भी सुरक्षा के लिए पाबन्दियाँ लग रही है। प्रो० आर०एन० गैरोला ने कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन पूरी दुनिया मे हो रहा है। जिसमे सबसे ज्यादा महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन के मामलें सामने आ रहे है। महिलाओं को सुरक्षित समाज देने के लिए परिवार और समाज को संस्कार देने की आवश्यकता है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा नैतिक मूल्यों की कमी के कारण ही है। महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए परिवार, समाज और शिक्षण संस्थाएँ अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा सकते है। प्रो० हिमांशु बौड़ाई ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले पूरी दुनिया मे बढ़ रहे है। ये मामले भारत मे बहुत ज्यादा बढ़े है। महिलाओं की स्थिति में सुधार कानून, सामाजिक क्रांति, समाज सुधार और समय व परिस्थिति में स्वतः सुधार के द्वारा हो सकते है। देश मे बहुत सारे कानून बने है लेकिन बहुत बड़े सुधार की आवश्यकता समाज के स्तर से है। राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० एम०एम० सेमवाल ने कहा कि हमे अधिकार के साथ साथ कर्तव्यों की तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए हिंसा मुक्त समाज बनाने के लिए परिवार, समाज के साथ साथ नागरिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए बहुत से कानून बने है लेकिन उन्हें कानूनों की जानकारी ही नही है। महिलाओं को उनके अधिकारों एवं दायित्वों के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है। परिचर्चा का संचालन शोध छात्रा शिवानी पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर कुसुम, प्रेरणा कैंथोला, लूसी, सुभाष लाल, राहुल, शाइस्ता परवीन, मीनाक्षी, वर्षा, रश्मि, कमल, तरुण भट्ट आदि मौजूद रहे।

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