शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना अखाड़े दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ ने बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को बाबा केदारनाथ धाम में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में अमन चैन व खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। पवितà¥à¤° छड़ी के केदारनाथ धाम पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर बà¥à¤°à¤¦à¥€ केदार मनà¥à¤¦à¤¿à¤° समिति के पदाधिकारियों तथा तीरà¥à¤¥à¤ªà¥‚रोहितों ने उसकी पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज व साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया।
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना अखाड़े दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ ने बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° को बाबा केदारनाथ धाम में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में अमन चैन व खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। पवितà¥à¤° छड़ी के केदारनाथ धाम पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर बà¥à¤°à¤¦à¥€ केदार मनà¥à¤¦à¤¿à¤° समिति के पदाधिकारियों तथा तीरà¥à¤¥à¤ªà¥‚रोहितों ने उसकी पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथा अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज व साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। पवितà¥à¤° छड़ी के केदारनाथ धाम पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ से पूरà¥à¤µ रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शंकरगिरि ने उसका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा उतà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली। ढोल-दमाउ के साथ निकली शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का जगह जगह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नागरिकों ने पूषà¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ कर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा संतो का आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। पवितà¥à¤° छड़ी को पौराणिक तीरà¥à¤¥ कोटेशà¥à¤µà¤° महादेव पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के ले जाया गया। जहां पवितà¥à¤° अलकनंदा नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पौराणिक शिवमनà¥à¤¦à¤¿à¤° जो कि à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है,में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज ने कोटेशà¥à¤µà¤° महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का महतà¥à¤µ बताते हà¥à¤ कहा कि पौराणिक आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान शिव से वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करनेक े बाद जब à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° उनà¥à¤¹à¥€ के सिर पर हाथ रखकर à¤à¤¸à¥à¤® करना चाह रहा था,तब à¤à¤—वान शिव ने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की राा के लिठइसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की थी और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾ में छिप गठथे। तब à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने मोहिनी रूप धारण कर यहां à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° का संहार किया था। जिस गà¥à¤«à¤¾ में à¤à¤—वान शिव छिपे थे,वह पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• गà¥à¤«à¤¾ आज à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤“ं की आसà¥à¤¥à¤¾ व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾ का केनà¥à¤¦à¥à¤° बनी हà¥à¤ˆ है। इस गà¥à¤«à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिवलिंग पर पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रूप से जल की बूंदे हर समय गिरती रहती है। उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की ओर से तहसीलदार मंजू राजपूत,नायब तहसीलदार बलवीर साह,पटवारी पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª नेगी आदि ने पवितà¥à¤° छड़ी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर केदारनाथ के लिठरवाना किया। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से पैदल मारà¥à¤— पर पवितà¥à¤° छड़ी को तहसीलदार दीवान राणा,कानूनगों अंजवाल व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• अधिकारियों ने पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर रवाना किया। पवितà¥à¤° छड़ी को लेकर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विशमà¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤—िरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त कà¥à¤¶à¤—िरि,महंत वशिषà¥à¤ गिरि,महंत रणधीर गिरि,महंत आजाद गिरि,महंत पारसपà¥à¤°à¥€,महंत गौतम गिरि,राज गिरि,लालगिरि,अमृतपà¥à¤°à¥€,धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° पà¥à¤°à¥€ आदि साधॠसंत हर हर महादेव के जयधोष करते हà¥à¤ चल रहे थे।