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अखाड़ों की कुंभ छावनियों की जमीन पर कई अखाड़ों ने अपार्टमेंट बनाकर करोड़ों के न्यारे -बारे -बाï¿


बाबा हठयोगी नेअखाड़ा परिषद पर तीखा हमला किया । पत्रकारों से बातचीत करते हुए बाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ा परिषद भूमाफिया का गढ़ बन गया है तथा इसमें कोई नियम कानून नहीं है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज भारत

हरिद्वार। बाबा हठयोगी नेअखाड़ा परिषद पर तीखा हमला किया पत्रकारों से बातचीत करते हुए बाबा हठयोगी ने कहा कि अखाड़ा परिषद भूमाफिया का गढ़ बन गया है तथा इसमें कोई नियम कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि एक ही संप्रदाय से अध्यक्ष तथा महामंत्री बनाया गया है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। बाबा हठयोगी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद कुंभ माफिया परिषद बनकर रह गई है तथा इनका काम सिर्फ शासन प्रशासन को गुमराह करना है हठयोगी ने कहा कि वह अखाड़ा परिषद में रहे हैं तथा इसके विधान से भलीभांति परिचित हैं उन्होंने सवाल खड़ा किया कि यदि संन्यासियों का अध्यक्ष है तो वैष्णवों का महामंत्री होना चाहिए। ठीक इसी प्रकार यदि शैवों का अध्यक्ष है तो महामंत्री दूसरे संप्रदाय का होगा बाबा हठयोगी ने आरोप लगाया कि अखाड़ा परिषद में भारी घालमेल है तथा कथित रूप से ब्लैक मेलिंग की जा रही है उन्होंने यह भी जोड़ा कि नासिक उज्जैन तथा यूपी में भी जबरदस्ती शासन प्रशासन के ऊपर दबाव बनाया गया अपनी जमीन में फ्लैट एवं बारात घर का निर्माण करा दिया गया तथा जमीन प्रशासन से मांगी जा रही है उन्होंने अधिकारियों पर भी उनकी कार्यशैली को लेकर प्रश्नचिन्ह उठाये । जैसे-जैसे हरिद्वार में 2021 में लगने वाले कुंभ मेला की तारीख नजदीक आ रही है ,वैसे-वैसे हरिद्वार के साधु-संतों में एक दूसरे की टांग खिंचाई का दौर चल पड़ा है । जहां अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी अखाड़ों की छावनियों के लिए जमीन देने तथा हर अखाड़े को 3 से 5 करोड रूपए देने की मांग राज्य सरकार से कर रहे हैं और इसलिए अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी कुंभ मेला प्रशासन पर दबाव डालने के लिए कुंभ कार्यो की धीमी गति का आरोप लगा रहे हैं ।।जबकि असलियत इसके उल्टे हैं इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और नगर विकास मंत्री मदन कौशिक के प्रयासों से कुंभ मेला अधिकारी की नियुक्ति भी पिछले कुंभ मेला के मुकाबले जल्दी हुई है और कुंभ के लिए घाटों का निर्माण इस बार जल्दी शुरू हो गया है और कुंभ के कार्य बहुत तेजी से हो रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री की पहल पर मुजफ्फरनगर हरिद्वार दिल्ली देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग भी अब तेजी से बन रहा है। दरअसल मुख्यमंत्री अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के दबाव में नहीं आ रहे हैं। दरअसल महंत नरेंद्र गिरी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी नेता अखिलेश यादव के समर्थक माने जाते हैं और इस कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक, संघ विश्व हिंदू परिषद और भाजपा महंत नरेंद्र गिरी को पसंद नहीं करते हैं। महंत नरेंद्र गिरी कांग्रेस समर्थक माने जाने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के समर्थक हैं और वे संघ और भाजपा से जुड़े शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती के खिलाफ हैं ।महंत नरेंद्र गिरी इस कारण मुख्यमंत्री और उत्तराखंड की भाजपा सरकार नहीं सुनती है। महंत नरेंद्र गिरी का अखाड़ा परिषद में कार्यकाल जनवरी 20 20 तक है। परंतु पिछले दिनों हरिद्वार के उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा राजघाट कनखल में महन्त नरेंद्र गिरी ने अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई और बिना एजेंडे के चुनाव करवा दिए और अपना कार्यकाल आगे बढ़ा दिया ।जिसको लेकर कई संतों में भीतर खाने आक्रोश है । वैरागी अखाड़े के महन्त और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता महन्त बाबा हठयोगी ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरी के नेतृत्व में गठित अखाड़ा परिषद फर्जी है और उसका कार्यकाल भी अगले साल जनवरी में समाप्त हो जाएगा ।उन्होंने कहा कि बिना एजेंडे के महंत नरेंद्र गिरि ने आपाधापी में अपना कार्यकाल आगे बढ़वा लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अखाड़ा परिषद में यह परंपरा है कि यदि संन्यासी अखाड़ों का अध्यक्ष बनता है तो महामंत्री उदासीन ,निर्मल या फिर बैरागी अखाड़ों में से बनता है । अखाड़ा परिषद में महन्त नरेंद्र गिरी ने इस बात का ध्यान नहीं रखा है। अध्यक्ष और महामंत्री दोनों संन्यासी अखाड़ों से हैं । इसलिए अखाड़ा परिषद अवैध है। वही हठयोगी का कहना है कि एक ओर अखाड़ा परिषद छावनियों के लिए

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