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कुंभ छावनी की जमीन या तो बेच दी या उस पर अपॉइंटमेंट खड़े कर दिए -बाबा हठयोगी ने लगाया आरोप


कुंभ मेला में अब कुछ ही समय शेष बचा है मगर उससे पहले ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष और महामंत्री पद को लेकर संतों में घमासान मच गया है अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुंभ मेले में पैसों की बंदरबांट करने के लिए दोबारा संन्यासी अखाड़ों के अध्यक्ष और महामंत्री बनाए गए हैं।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ भारत

हरिद्वार 14 दिसंबर ।कुंभ मेला में अब कुछ ही समय शेष बचा है मगर उससे पहले ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष और महामंत्री पद को लेकर संतों में घमासान मच गया है अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुंभ मेले में पैसों की बंदरबांट करने के लिए दोबारा संन्यासी अखाड़ों के अध्यक्ष और महामंत्री बनाए गए हैं और ऐसा पहली बार हुआ है जब संन्यासी अखाड़ों के ही अध्यक्ष और महामंत्री है वहीं बाबा हठयोगी ने अखाड़ों के लिए कुंभ में भूमि मांगे जाने को भी गलत बताते हुए कहा कि अखाड़ों के पास पहले ही भूमि है और उस पर उन्होंने अपार्टमेंट खड़े कर दिए हैं उनका सरकार से भूमि मांगना गलत है शासन और प्रशासन को कुंभ मेले को अखाड़ा परिषद के बजाय एक समिति का गठन कर पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निरंजनी अखाड़ा के साधु संत सबसे बड़े प्रॉपर्टी डीलर है अखाड़े की जमीन पर ही निरंजनी अखाड़े ने आश्रम के नाम पर एक होटल बना दिया है और एक प्रॉपर्टी डीलर को दे दिया है जब किया होटल बनाना गलत है क्योंकि उसके ठीक सामने डाम कोठी है यह आश्रम नुमा होटल दाम कोठी की सुरक्षा की दृष्टि से गलत है हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को इस होटल को तुरंत तोड़ना चाहिए क्योंकि यह अवैध है आज हठयोगी हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात कर रहे थे। बाबा हठयोगी ने कहा कि निरंजनी अखाड़ा के महंत नरेंद्र गिरी और उनके चेले त्रिपाठी हरिद्वार के सबसे बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं उन्होंने कुंभ छावनी की अपने अखाड़े की जमीन पर बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स खड़े कर दिए हैं और करोड़ों रुपए कमाए हैं अब उन्हें कुंभ मेले के नाम पर अखाड़े के लिए जमीन मांगने का कोई अधिकार नहीं है। अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी का कहना है कि आज तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि सन्यासी अखाड़े से ही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री बने और इससे लगता है कि शासन और प्रशासन पर दबाव बनने के लिए ऐसा किया गया है इनको नासिक उज्जैन और इलाहाबाद मैं कुंभ के नाम पर करोड़ों रुपए मिले और इसी योजना के तहत अब यह हरिद्वार के कुंभ में भी यही करना चाहते हैं अखाड़ा परिषद द्वारा कुंभ मेले में सरकार से भूमि मांगी गई मगर सभी अखाड़ों के पास पर्याप्त मात्रा में भूमि है और उस भूमि पर अखाड़ों द्वारा अवैध तरीके से अपार्टमेंट बना दिए गए अखाड़ों को भूमि इसलिए नहीं मिली थी कि वो इसपर वह फ्लैट बनाकर बेचे और इस पर कोई भी अखाड़ा नहीं बोल रहा है मुझे लगता है जिस तरह से संन्यासी अखाड़ों के अध्यक्ष और महामंत्री बनाए गए हैं और बैरागी उदासी और निर्मल अखाड़ा कुछ नहीं बोल रहा है मुझे लगता है कुंभ मेले में पैसों की बंदरबांट मैं सब शामिल है। बाबा हठयोगी का कहना है कि अगर शासन और प्रशासन को मेला संपन्न कराना है तो उसमें धार्मिक सामाजिक बुद्धिजीवी और साथ ही साधु-संतों को शामिल कर एक समिति बनाए उनके द्वारा ही कुंभ मेले का संचालन किया जाए ताकि साधु-संतों और श्रद्धालुओं को अच्छी व्यवस्था मिल सके और अखाड़ा परिषद को कुंभ मेले में कोई भी महत्व ना दिया जाए और इससे मेला प्रशासन किसी भी दबाव में नहीं रहेगा क्योंकि अखाड़ा परिषद मेला प्रशासन पर तरह तरह के दबाव डालता है क्योंकि प्रशासन द्वारा अखाड़ों को दिए गए पैसे की बंदरबांट हो जाती है और आम साधु-संतों को सुविधाएं नहीं मिल पाती है। हिंदू रक्षा मंच के अध्यक्ष और अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधनंद गिरी का कहना है कि कुंभ का लगातार अनुभव होने के बाद अब ऐसा लगता है कि अखाड़ा परिषद को केवल ब्लैकमेल का धंधा बना दिया है और ऐसी परिस्थिति में अखाड़ा परिषद सिर्फ सरकार से धन इकट्ठा करने में लग गई है अब अखाड़ा परिषद का कोई औचित्य नहीं रहा है अखाड़ा परिषद को अब कुंभ में सरकार और प्रशासन को कोई महत्व नहीं देना चाहिए और एक समिति बनाकर हरिद्वार कुंभ का सफल आयोजन करना चाहिए इलाहाबाद कुंभ में भी अखाड़ों द्वारा पैसों की बंदरबांट कर दी गई थी और अखाड़ों को शौचालय तक की सुविधा नहीं मुहैया कराई गई थी वही अलग से उत्तराखंड सरकार से भूमि मांगने पर स्वामी प्रबोधनंद गिरी का कहना है अखाड़ों के पास पहले ही सरकार द्वारा दी गई भूमि है जिस पर उनके द्वारा अपार्टमेंट बना दिए गए हैं अब उनको भूमि देने का कोई औचित्य नहीं है कुंभ मेले से पहले ही जिस तरह से साधु-संत आमने सामने आ गए हैं उससे आने वाले वक्त में अखाड़ों में घमासान मचना तय है क्योंकि अखाड़ा परिषद कुंभ में सरकार से अखाड़ों के लिए भूमि मांग रहा है तो वही अखाड़ों के ही संत अखाड़ों की भूमि पर अपार्टमेंट बनाने का विरोध कर रहे हैं अब देखना होगा संतो के बीच में मचे घमासान में सरकार कुंभ मेले को किस तरह से सफल बना पाती है।

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