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लोक सभा अध्यक्ष कल देहरादून में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाà


माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला 18 दिसम्बर 2019 को देहरादून में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे । सभी राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन में भाग लेने और अपने अनुभव साझा किए जाने की संभावना है ।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज भारत

नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2019 :माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला 18 दिसम्बर 2019 को देहरादून में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे । सभी राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन में भाग लेने और अपने अनुभव साझा किए जाने की संभावना है । दो दिनों तक चलने वाली परिचर्चाओं के दौरान पीठासीन अधिकारी कार्यसूची की मद - 'संविधान की दसवीं अनुसूची और अध्यक्ष की भूमिका' पर चर्चा करेंगे । संविधान की दसवीं अनुसूची में दल परिवर्तन के आधार पर संसद अथवा राज्य विधान मंडलों के सदस्यों की निरर्हता (disqualification of members) के बारे में उपबंध किए गए हैं । अनुसूची के अनुसार इस प्रश्न का निर्णय प्रत्येक सभा के सभापति/अध्यक्ष द्वारा किया जाता है कि सभा का कोई सदस्य निरर्हित (disqualified) हो गया है अथवा नहीं और उसका निर्णय अंतिम होता है। चर्चा का एक और महत्‍वपूर्ण विषय है – 'शून्य काल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण तथा क्षमता निर्माण'। विधानमंडलों के सदस्यों के पास कानून बनाने और कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने की शक्ति होती है । इन शक्तियों का प्रयोग स्‍थापित संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों के अधीन किया जाता है। परंतु शून्य काल में सदस्य ऐसे मामले उठा सकते हैं जिन्हें वे अविलंबनीय लोक महत्व का मामला मानते हैं और जिन्हें सामान्य प्रक्रिया नियमों के अंतर्गत उठाने में होने वाले विलंब से वे बचना चाहते हैं। कुछ समय पहले, 28 अगस्‍त, 2019 को श्री बिरला की अध्‍यक्षता में नई दिल्‍ली में राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने तीन महत्‍वपूर्ण विषयों पर समितियों का गठन किया था – (i) विधान मंडलों के कार्यकरण में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का मूल्‍यांकन करने तथा सुझाव देने हेतु समिति जिसके सभापति असम विधान सभा के अध्‍यक्ष माननीय श्री हितेन्‍द्र नाथ गोस्‍वामी हैं, (ii) सभा के सुचारू कार्यकरण संबंधी मामले पर विचार करने संबंधी समिति जिसके सभापति उत्‍तर प्रदेश विधान सभा के अध्‍यक्ष, माननीय श्री हृदय नारायण दीक्षित हैं, और (iii) विधान मंडल सचिवालयों की वित्‍तीय स्वायत्तता के मामले की जांच हेतु समि‍ति, जिसके सभापति राजस्‍थान विधान सभा के अध्‍यक्ष माननीय श्री सी.पी. जोशी हैं। देहरादून में आयोजित भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन में ये तीनों समितियां इन महत्‍वपूर्ण विषयों पर सिफारिशों सहित अपने प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करेंगी । पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के साथ-साथ, 17 दिसम्बर 2019 को विभिन्न विधानमंडलों के सचिवों की विधान सभाओं/परिषदों के कार्यकरण से संबंधित पारस्परिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर लोक सभा की महासचिव, श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा कि लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला द्वारा की गई पहलों के कारण 17वीं लोक सभा के दो सत्र अत्यंत उत्पादक रहे हैं जिसमें सभा में मामलों को उठाने के लिए नए सदस्यों को अधिकाधिक अवसर प्रदान किए गए और लोक सभा द्वारा अनेक विधानों को पारित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि माननीय अध्यक्ष के निदेशों के अनुसार, सदस्यों की क्षमता के विकास के लिए सभा के समक्ष विचाराधीन विधेयकों पर संक्षिप्त जानकारी देने संबंधी 9 सत्रों का आयोजन किय गया था। एक अन्य पहल के रूप में, सदस्यों को अपने विधायी और संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता प्रदान करने के लिए एक सूचना और संचार केन्द्र की स्थापना की गई है। इस केन्द्र के द्वारा एक महीने की संक्षिप्त अवधि के दौरान संसद सदस्यों को 6800 टेलिफोन कॉलें की गई। 'विधानमंडलों में सभा की कार्यवाही से शब्दों को हटाए जाने की प्रक्रिया की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता' और 'लोगों तक पहुंचने के लिए विधानमंडलों द्वारा नए उपाय किया जाना' विषयों पर टिप्पणी करते हुए, श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा कि नई डिजिटल और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकियों के उद्भव के कारण सभा की कार्यवाहियों से शब्दों को हटाए जाने की प्रक्रिया की तत्काल समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।

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