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अन्न और जल परमात्मा का प्रसाद है - स्वामी कमलेशानंद सरस्वती


श्रीगंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि अन्न और जल परमात्मा का प्रसाद है जिसके अंतः करण में प्रविष्ट होते ही आत्मा चैतन्य हो जाती है, और जिस धर्म स्थल पर अन्नक्षेत्र का नियमित संचालन होता है वह स्थान परमात्मा का स्थाई आवास हो जाता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

हरिद्वार 11 जून । श्रीगंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि अन्न और जल परमात्मा का प्रसाद है जिसके अंतः करण में प्रविष्ट होते ही आत्मा चैतन्य हो जाती है, और जिस धर्म स्थल पर अन्नक्षेत्र का नियमित संचालन होता है वह स्थान परमात्मा का स्थाई आवास हो जाता है। वे आज उत्तरी हरिद्वार के खड़खड़ी स्थित श्रीगंगा भक्ति आश्रम में साकेतवासी पूज्य सद्गुरुदेव स्वामी राघवानंद सरस्वतीजी महाराज की स्मृति में आयोजित अन्नक्षेत्र में पधारे श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दे रहे थे। संत ,श्रद्धालुभक्तों एवं सनातन धर्म प्रचार से जुड़े साधकों की सदक्षिणा भोजन प्रसाद सेवा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा का वास है और नर सेवा ही नारायण की सच्ची पूजा है । पूज्य सद्गुरुदेव ने संत सेवा के जिस प्रकल्प का शुभारंभ किया था वह नियमित रूप से गंगा भक्ति आश्रम हरिद्वार एवं यमुना बिहारी आश्रम वृंदावन में संचालित हो रही है। उन्होंने देवता एवं दैत्यों के प्रसंग के साथ दशहरा एवं एकादशी के महत्व को विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए समझाया । भगवान बांके बिहारी की परम साधक स्वामी शिखानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीगंगा भक्ति आश्रम के संस्थापक स्वामी राघवानंदजी महाराज को नमन करते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेव अन्नक्षेत्र की सेवा को ही भगवान और मां गंगा की सबसे बड़ी भक्ति मानते थे। उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्प को स्वामी कमलेशानंद सरस्वती ने और विस्तार दिया है उसके लिए सभी भक्त ,अनुयायी एवं ट्रस्टी साधुवाद के पात्र हैं । इस अवसर पर स्वामी सत्यव्रृतानंद सरस्वती ,स्वामी नरेशानंद, स्वामी माधवानंद स्वामी योगेंद्रानंद, स्वामी प्रेमानंद तथा राधारानी स्वामी सुषमा गिरी साहित सैकड़ों संतों ने एकादशी का भोजन प्रसाद ग्रहण कर अपना-अपना अंतःकरण पवित्र किया।

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