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एम्स ऋषिकेश के काॅलेज ऑफ नर्सिंग में मूवी स्क्रीनिंग का आयोजन


दुधारू पशुओं के बच्चों के लिए उनकी मां के दूध की महत्ता पर निर्मित पुरस्कार विजेता फिल्म ‘मां का दूध‘ में डेयरी उद्योग से संबन्धित दुधारू पशुओं के जीवनवृत्त को मूवी के माध्यम से दर्शाया गया है।

रिपोर्ट  - अंजना भट्ट घिल्डियाल

वीगन डाईट को बढ़ावा देने और पशुवध प्रवृत्ति को रोकने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश के काॅलेज ऑफ नर्सिंग में मूवी स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। यूथ- 20 इंवेट के अंतर्गत ‘‘एनिमल क्लाइमेट एंड हेल्थ सेव मूवमेंट इंडिया‘‘ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में बताया गया कि दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मनुष्य को गाय-भैंसों के दूध पर निर्भर न रहकर इसके विकल्पों को अपनाना चाहिए। दुधारू पशुओं के बच्चों के लिए उनकी मां के दूध की महत्ता पर निर्मित पुरस्कार विजेता फिल्म ‘मां का दूध‘ में डेयरी उद्योग से संबन्धित दुधारू पशुओं के जीवनवृत्त को मूवी के माध्यम से दर्शाया गया है। यूथ-20 की तैयारियों के तहत एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित किए जा रहे नियमित कार्यक्रमों की श्रृंखला में मूवी स्क्रीनिंग द्वारा संदेश दिया गया कि दुधारू पशुओं का दूध सिर्फ उनके बच्चों के लिए ही होता है, न कि उनके दूध का व्यावसायिक दोहन किया जाना चाहिए। संदेश दिया गया कि देश में डेयरी उद्योग में शोषणकारी प्रथाएं किस कदर हावी हैं। जो दूध गाय-भैंसों के बच्चों को मिलना चाहिए, उसे मशीनों से जबरन दुहकर बाजार में बेचा जा रहा है। अधिकाधिक दूध दुहने से डेयरी उद्योग की गाय-भैंसें अपने जीवन में 3-4 बार दूध देने के बाद दूध देना बंद कर देती हैं और बाद में इन पशुओं के साथ क्रूरता अपनाकर उन्हें बूचड़खाने में कटने के लिए छोड़ दिया जाता है। बताया गया कि हमें पशु वध की प्रवृत्ति पर रोक लगानी होगी। इसके साथ ही दुधारू पशुओं के दूध पर निर्भर न रहकर आवश्यक प्रोटीन की पूर्ति के लिए हमें वीगेन डाईट का इस्तेमाल करना चाहिए। ताकि दुधारू पशु अपने जीवन में नियमित स्तर पर दूध देते रहें और उन्हें वधशाला में जाने से भी बचाया जा सके।

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