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आईपीआरएस ने "माय म्यूजिक, माय राइट्स" अभियान शुरू किया


आईपीआरएस ने अपना राष्ट्रव्यापी अभियान, "माई म्यूजिक, माई राइट्स" लॉन्च किया। यह पहल एक टिकाऊ संगीत उद्योग के लिए, संगीत के अंतर्निहित मूल्य तथा रचनाकारों व उनकी रचनात्मकता का सहयोग व समर्थन करने की जरूरत को लेकर राष्ट्रव्यापी चर्चा छेड़ना चाहती है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

देहरादून,19 फरवरी, 2024: आईपीआरएस ने अपना राष्ट्रव्यापी अभियान, "माई म्यूजिक, माई राइट्स" लॉन्च किया। यह पहल एक टिकाऊ संगीत उद्योग के लिए, संगीत के अंतर्निहित मूल्य तथा रचनाकारों व उनकी रचनात्मकता का सहयोग व समर्थन करने की जरूरत को लेकर राष्ट्रव्यापी चर्चा छेड़ना चाहती है। संगीत भारत के सांस्कृतिक चित्रपटल में एक अभिन्न स्थान रखता है, जिसका संदर्भ प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। प्राचीन काल में विचरण करने पर, भारत की अथाह संगीत विरासत की जड़ें उसके पवित्र ग्रंथों में गहराई तक जमी हुई मिलती हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव को सामवेद के दिव्य मंत्रों से संगीत की व्युत्पत्ति करने का श्रेय दिया जाता है, जो स्वयं अलौकिक जगत का प्रतीक है। ब्रह्मा के साथ-साथ, सृष्टि के पालनहार विष्णु, और संहारक शिव जैसे देवताओं को संगीत के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है, जो आध्यात्मिकता और संस्कृति के साथ उसके अंतर्भूत संबंध को रेखांकित करता है। दैवीय समूह में, संगीत और ज्ञान की देवी सरस्वती केंद्रीय भूमिका रखती हैं। ब्रह्मा की सहचारिणी सरस्वती को वीणा, जो एक तार वाला वाद्ययंत्र है, बजाने में पारंगत दिखाया गया है, और वह कलात्मक अभिव्यक्ति व ज्ञान के साकार रूप में परम पूजनीय हैं। जहां भारत की संगीत विरासत का पूरे विश्व में डंका बजता है, वहीं संगीत रचनाकारों और संगीत में पूर्णकालिक कैरियर की परिकल्पना करने वालों को, अक्सर अपनी कला से स्थायी आजीविका कमाने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

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