दुनिया के हाई-टेक कृषि व्यवसाय और स्मार्ट खेती उपायों की तरफ बढ़ने के बाद ड्रोन जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, मिट्टी की सेहत में गिरावट, कमोडिटी या जिसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती इनपुट लागतों जैसी जटिल चुनौतियों को हल करने के मामले में अग्रणी समाधान के तौर पर उभर कर सामने आया है।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
विश्व पृथ्वी दिवस मनाए जाने के साथ ही कृषि के भविष्य को नए सिरे से गढ़ने में ड्रोन की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना जरूरी है। दुनिया के हाई-टेक कृषि व्यवसाय और स्मार्ट खेती उपायों की तरफ बढ़ने के बाद ड्रोन जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, मिट्टी की सेहत में गिरावट, कमोडिटी या जिसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती इनपुट लागतों जैसी जटिल चुनौतियों को हल करने के मामले में अग्रणी समाधान के तौर पर उभर कर सामने आया है। कीटनाशक डालने की पारंपरिक विधियां, मैनुअल स्प्रेईंग इक्विपमेंट का इस्तेमाल न केवल कम प्रभावी साबित हुआ है, बल्कि यह लंबे समय से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहे हैं। इस पद्धति के तहत कीट नियंत्रण का इस्तेमाल 20-30% की क्षमता के साथ हो पाता है और इस वजह से कीटनाशकों का 70-80% हिस्सा गैर-लक्षित क्षेत्रों में फैल जाता है, जिससे मिट्टी, पानी और हवा खतरनाक तरीके से प्रदूषित हो जाती है। ऐसे में नए जमाने का यूएवी-आधारित हवाई छिड़काव उम्मीद की एक किरण के तौर पर उभरकर सामने आता है, जो पर्यावरण के अनुकूल खेती की प्रणालियों के नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। कीटनाशकों के पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और अत्यधिक छिड़काव, लीचिंग, वाष्पीकरण और बहाव की वजह से फसल की सेहत को प्रभावित करते हुए उसकी गुणवत्ता को कम करते हैं। ऐसे में इस्तेमाल किए जाने वाले क्षेत्रों के भीतर एक्सो-ड्रिफ्ट डाउनविंड और एंडो-ड्रिफ्ट दोनों से जुड़े पारिस्थितिक जोखिमों को कम करते हुए कीटनाशकों के इस्तेमाल को ज्यादा प्रभावी तरीके से पूरा करने पर कीटनाशक वितरण या छिड़काव का बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत स्पष्ट हो जाती है। हाल के वर्षों में, ड्रोन-आधारित हवाई छिड़काव की शुरुआत के साथ साथ कृषि तकनीकी में व्यापक बदलाव देखा गया है। इस अत्याधुनिक दृष्टिकोण की वजह से उच्च कीटनाशक उपयोग दक्षता, कम श्रम लागत, समय और ऊर्जा की बचत, तेज प्रतिक्रिया समय, व्यापक और समान कवरेज व पर्यावरण सुरक्षा समेत कई फायदे हो रहे हैं। ड्रोन-आधारित छिड़काव का सबसे अहम लाभ खेतों पर पड़ने वाला न्यूनतम प्रभाव है। पारंपरिक तरीकों के विपरीत, जहां कीटनाशक अवशेष अक्सर मिट्टी और अनाज में सने रहते हैं, वहीं ड्रोन के उपयोग से मिट्टी और अनाज में ऐसा नहीं होता है, विशेषकर चावल की फसलों में, क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी और ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 50 (75 डब्ल्यूजी) जैसे कीटनाशक अवशेषों का पता नहीं चल पाता है।