पतंजलि विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के आयोजकत्व तथा यू.जी.सी. के अन्तर्विश्वविद्यालयी योग विज्ञान केन्द्र के प्रयोजकत्व में ‘प्राणमयकोशः संरक्षण, संवर्धन एवं चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला वैदिक यज्ञ के साथ सम्पन्न हुई।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार, 31 अगस्त। पतंजलि विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के आयोजकत्व तथा यू.जी.सी. के अन्तर्विश्वविद्यालयी योग विज्ञान केन्द्र के प्रयोजकत्व में ‘प्राणमयकोशः संरक्षण, संवर्धन एवं चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला वैदिक यज्ञ के साथ सम्पन्न हुई। प्रातःकालीन सत्र में प्रतिभागियों को योगऋषि स्वामी रामदेव द्वारा प्रणीत पतंजलि ध्यान का अभ्यास व प्रशिक्षण भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव द्वारा प्रदान किया गया। इसके साथ ही उन्होंने ध्यान के विविध अनुप्रयोग, प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित विशिष्ट पद्धति एवं उसके वैज्ञानिक लाभ पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ध्यान के नियमित अभ्यास से मनो-शारीरिक स्वास्थ्य लाभ के साथ ही व्यक्ति की मनःप्रतिरोधक क्षमता का अभिवर्धन होता है, संज्ञानात्मक पुनर्निर्माण होता है जिससे साधक के व्यक्तित्व का उत्तरोत्तर समग्र विकास सम्भव होता है। इस अवसर पर आयुष मंत्रलय के रिसर्च ऑफिसर डॉ. राम नारायण मिश्रा ने प्रतिभागियों को विभिन्न हठयौगिक ग्रन्थों में वर्णित प्रमुख प्राणायाम का अभ्यास कराया तथा प्राणायाम का मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं जैसे- स्मरण शक्ति, प्रतिक्रिया काल, अवधान आदि पर प्रभाव की चर्चा की। कार्यशाला के आयोजन सचिव प्रो. ओम नारायण तिवारी ने योग एवं प्राणायाम के क्षेत्र में पतंजलि द्वारा किए गए अनुसंधान की विस्तृत जानकारी प्रदान की। विभिन्न विश्वविद्यालयों के आचार्यों व शोधार्थियों द्वारा साक्ष्य-आधारित शोध पत्रें का प्रस्तुतिकरण भी किया गया जिसमें प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का सार्थक समाधान भी किया गया। समापन अवसर पर पोस्टर एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर उत्साहवर्धन किया गया।