शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² संत पà¥à¤°à¤¾ कनखल में शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पकà¥à¤· के अवसर पर गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ दिवस शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• मनाया गया इस अवसर पर सिख पंथ के सà¤à¥€ 10 गà¥à¤°à¥à¤“ं गà¥à¤°à¥ नानक देव जी से लेकर गà¥à¤°à¥ गोविंद सिंह जी का à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤®à¤°à¤£ किया गया|
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² संत पà¥à¤°à¤¾ कनखल में शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पकà¥à¤· के अवसर पर गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ दिवस शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• मनाया गया इस अवसर पर सिख पंथ के सà¤à¥€ 10 गà¥à¤°à¥à¤“ं गà¥à¤°à¥ नानक देव जी से लेकर गà¥à¤°à¥ गोविंद सिंह जी का à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤®à¤°à¤£ किया गया साथ ही शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² संत पà¥à¤°à¤¾ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• जाने-माने निरà¥à¤®à¤² संत गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ शà¥à¤°à¥€ संत हरनाम सिंह महाराज, संत हीरा सिंह महाराज ,संत महामंडलेशà¥à¤µà¤° रघà¥à¤µà¥€à¤° सिंह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पिताजी महाराज à¤à¤µà¤‚ महंत महेंदà¥à¤° सिंह महाराज का शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤®à¤°à¤£ किया गया इस अवसर पर शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤‚थ साहिब जी के 101 पाठकी 66 वीं लड़ी का आयोजन किया गया तथा 13 वां कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ संपनà¥à¤¨ हà¥à¤† जिसमें बड़ी तादाद में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने संगत की, पंजाब के अमृतसर से आठदरबार साहिब के हजूरी रागी बलविंदर सिंह और जालंधर के रागी हरजिंदर सिंह खालसा ने गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤£à¥€ का गायन कर समा बांध दिया और पूरा निरà¥à¤®à¤² संत पà¥à¤°à¤¾ गà¥à¤°à¥ वाणी से सराबोर हो गया कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार में बड़ी तादाद में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने à¤à¤¾à¤— लिया इस अवसर पर अटूट लंगर का आयोजन किया गया साथ ही महान संत समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ का आयोजन किया गया संत समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥€à¤¯ संबोधन करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² संत पà¥à¤°à¤¾ के परमाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· महंत जगजीत सिंह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा कि संतों का जीवन गंगाजल के समान निरà¥à¤®à¤² होता है संतों की वाणी से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का सà¥à¤®à¤°à¤£ और उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ रखना ही सबसे बड़ी पूजा है महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को याद करना है हमारे पूरà¥à¤µà¤œ à¤à¥€ हमारे à¤à¤—वान हैं जो हमारे मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• हैं हमें जिन के बताठरासà¥à¤¤à¥‡ पर चलना चाहिठइस अवसर पर महंत कशà¥à¤®à¥€à¤° सिंह à¤à¥‚रीवाले ,महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरि चेतनानंद महाराज, महंत जगजीत सिंह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ,संत मोहन सिंह, संत मनजीत सिंह महाराज, महंत दामोदर दास, महंत हरà¥à¤·à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨, महंत दलजीत सिंह ,महंत पà¥à¤°à¥‡à¤® सिंह, महंत तीरà¥à¤¥ सिंह, महंत मोहन सिंह आदि ने संत समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में विचार रखें पितृ विसरà¥à¤œà¤¨ अमावसà¥à¤¯à¤¾ के साथ ही पितृपकà¥à¤· का समापन हà¥à¤†|