यà¥à¤µà¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ साधॠसमाज के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महामंतà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा है कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ à¤à¤—वान का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। जिसके पठन à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤µà¤£ से à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· दोनों सà¥à¤²à¤ हो जाते हैं। मन की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठइससे बड़ा कोई साधन नहीं है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 13 नवमà¥à¤¬à¤°à¥¤ यà¥à¤µà¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ साधॠसमाज के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महामंतà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा है कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ à¤à¤—वान का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। जिसके पठन à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤µà¤£ से à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· दोनों सà¥à¤²à¤ हो जाते हैं। मन की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठइससे बड़ा कोई साधन नहीं है। साधॠगरीबदासी सेवा आशà¥à¤°à¤® टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में आयोजित शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के पांचवे दिन शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कथा का रसपान कराते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के शà¥à¤°à¤µà¤£ से कलयà¥à¤— के समसà¥à¤¤ दोष नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं और पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€ हरि हृदय में विराजते हैं। à¤à¥‹à¤— और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठतो à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¾à¤—वत शासà¥à¤¤à¥à¤° ही परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। हजारों अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ यजà¥à¤ž à¤à¥€ इस कथा का अंश मातà¥à¤° नहीं है। फल की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वत कथा की समानता काशी, पà¥à¤·à¥à¤•à¤° या पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— कोई à¤à¥€ तीरà¥à¤¥ नहीं कर सकता। इसीलिठसà¤à¥€ को समय निकालकर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ अवशà¥à¤¯ करना चाहिठऔर अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ इसके लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करना चाहिà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रवि देव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज ने कहा कि जिस घर में नितà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤—वत कथा होती है। वह तीरà¥à¤¥ रूप हो जाता है। कथा का केवल पठन शà¥à¤°à¤µà¤£ ही परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं है। इसके साथ अरà¥à¤¥à¤¬à¥‹à¤§, मनन, चिंतन, धारण और आचरण à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा से जो फल अनायास ही सà¥à¤²à¤ हो जाता है। वह अनà¥à¤¯ साधनों से दà¥à¤°à¥à¤²à¤ ही रहता है। जगत में à¤à¤¾à¤—वत शासà¥à¤¤à¥à¤° से निरà¥à¤®à¤² कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। इसलिठà¤à¤¾à¤—वत रस का पान सà¤à¥€ के लिठसरà¥à¤µà¤¦à¤¾ हितकारी है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद महाराज ने कहा कि कथा की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ तà¤à¥€ है। जब इसे हम अपने जीवन वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में धारण कर निरंतर हरि सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ अपने जीवन को आनंदमय मंगलमय बना कर अपना आतà¥à¤® कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करें। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ मातà¥à¤° से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र से पार हो जाता है। सोया हà¥à¤† जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वैरागà¥à¤¯ कथा शà¥à¤°à¤µà¤£ से जागृत होता ह।ै कथा कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· के समान है। जिससे सà¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ की जा सकती है। इस अवसर पर कथा के मà¥à¤–à¥à¤¯ यजमान परिवार दरà¥à¤¶à¤¨ लाल लूथरा, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¤¿ सà¥à¤¦à¥‡à¤¶ लूथरा, रमेश लूथरा, कमलेश लूथरा, राजीव बहल, ऋतॠबहल, बलदेव राज लूथरा, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¤¿ संदेश, नितिन लूथरा, कनिका लूथरा, विकà¥à¤°à¤® लूथरा, सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¾ लूथरा, अनà¥à¤°à¤¾à¤— धवन, अनिता धवन, अशोक ढलà¥à¤²à¤¾, सीमा ढलà¥à¤²à¤¾, सà¥à¤¶à¥€à¤² निशà¥à¤šà¤², पूनम निशà¥à¤šà¤², राजीव निशà¥à¤šà¤², नीलू निशà¥à¤šà¤², सारà¥à¤¥à¤• बहल, आदि ने कथा पधारे सà¤à¥€ संतो का फूलमाला पहनाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया आंैर उनसे आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया।