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परमार्थ निकेतन में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित


परमार्थ निकेतन में आज विश्व शान्ति यज्ञ और प्रार्थना के साथ योगोत्सव काउंटडाउन प्रोग्राम और होली पर्व का शुभारम्भ हुआ।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 17 मार्च। परमार्थ निकेतन में आज विश्व शान्ति यज्ञ और प्रार्थना के साथ योगोत्सव काउंटडाउन प्रोग्राम और होली पर्व का शुभारम्भ हुआ। ब्राजील, फ्रांस, इजराइल, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, नेपाल, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और भारत सहित कई अन्य देशों से आये योग प्रेमी, साधकों, भक्तों और तीर्थयात्रियों ने आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के सहयोग से परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस - 2022 तक 100 दिनों का काउंटडाउन, सौ दिन, सौ शहर और सौ संगठन’ कार्यक्रम में प्रातःकाल सहभाग किया। हिमालय की पावन गोद और माँ गंगा के पावन तट पर अद्भुत दृश्य और अनुपम सौन्दर्य से युक्त परमार्थ निकेतन आश्रम मंे गंगा तट पर योगोत्सव 96 दिवस का आयोजन किया गया। गंगा आरती के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में एक और विशेष योग सत्र का आयोजन किया गया जिसे वैश्विक स्तर पर और मंत्रालय के प्लेटफार्मों पर लाइवस्ट्रीम किया गया था। स्वामी जी ने कहा कि योग केवल आसनों का समूह मात्र नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। दैनिक जीवन में कब उठना, कब सोना, क्या करना, क्या सोचना, कैसे करना सब यौगिक जीवन का ही अंग है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता में कहा है ‘तस्मात् योगी भवार्जुन और योगस्थः कुरु कर्माणि।’ योग में स्थित रहते हुये, सभी कर्मो को करें तो सफलता अवश्य मिलेगी और युक्ताहार विहारस्य युक्त अर्थात् योग का अर्थ है बैलेंस, संयम अर्थात् आहर-विहार, विचार और व्यवहार का संयम बना रहें। अथ योगानुशासनम् योग का अर्थ ही है अनुशासन। जीवन में अनुशासन होगा तो जीवन की समस्यायें परेशान नहीं करेगी और तनाव नहीं होगा। योग, जीवन की समस्याओं का समाधान देता है। ‘‘योगो भवति दुःखाहाः’’ जीवन के लिये योग रामबाण है; संजीवनी बूटी है, इसलिये योगरूपी धरोहर को जानना, जीना और दूसरों को भी इसके लिये प्रेरित करना जरूरी है। स्वामी जी ने कहा कि योग के माध्यम से खुद को तलाशें खुद को तराशें और अपने को अनलॉक करें। योग केवल मैट पर ही नहीं होता बल्कि बिना मैट के दैनिक जीवन में और अपने कार्यो में भी समाहित हो इस पर विशेष ध्यान देना है।

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