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डेल्टा वैरिएंट से दूसरी बार संक्रमण के कम असर की गारंटी नहीं, वैज्ञानिकों ने ऐसे लगाया पता


दूसरी बार किसी व्यक्ति को डेल्टा वैरिएंट होने पर जरूरी नहीं कि पहली बार में बनी एंटीबॉडी उसके शरीर में कोविड-19 के प्रभाव को कम करेगी। भारतीय वैज्ञानिकों के हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

दूसरी बार किसी व्यक्ति को डेल्टा वैरिएंट होने पर जरूरी नहीं कि पहली बार में बनी एंटीबॉडी उसके शरीर में कोविड-19 के प्रभाव को कम करेगी। भारतीय वैज्ञानिकों के हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। स्विट्जरलैंड के मेडिकल जर्नल वायरस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीज में दूसरी बार प्रभाव हल्का होने की कोई गारंटी नहीं है। न ही पहली बार संक्रमित होने के बाद हर किसी के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती है। चूहों पर जब वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया तो तीन माह बाद उनमें आए बदलाव की जांच की गई। पता चला कि दूसरी बार संक्रमित होने पर भी कोरोना का असर गंभीर हो सकता है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव के अनुसार कोरोना वायरस के बारे में अभी भी वैज्ञानिक तौर पर काफी कुछ जानकारी लेना बाकी है।

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