राज राजेशà¥à¤µà¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤°à¥€ की नगरी काशी में होली का अंदाज à¤à¥€ निराला है। रंगà¤à¤°à¥€, चिताà¤à¤¸à¥à¤® के बाद अब शिवà¤à¤•à¥à¤¤ बाबा के संग होली के दिन इतà¥à¤° वाली होली खेलें। पिछले 20 सालों से चली आ रही इतà¥à¤° वाली होली की परंपरा इस बार à¤à¥€ होली पर निà¤à¤¾à¤ˆ गई।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
राज राजेशà¥à¤µà¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤°à¥€ की नगरी काशी में होली का अंदाज à¤à¥€ निराला है। रंगà¤à¤°à¥€, चिताà¤à¤¸à¥à¤® के बाद अब शिवà¤à¤•à¥à¤¤ बाबा के संग होली के दिन इतà¥à¤° वाली होली खेलें। पिछले 20 सालों से चली आ रही इतà¥à¤° वाली होली की परंपरा इस बार à¤à¥€ होली पर निà¤à¤¾à¤ˆ गई।शहर à¤à¤° के मोहलà¥à¤²à¥‹à¤‚ से पहà¥à¤‚चे शिवà¤à¤•à¥à¤¤ गंगा घाट से बाबा दरबार तक पंचाकà¥à¤·à¤°à¥€ मंतà¥à¤° का जाप करते हà¥à¤ पहà¥à¤‚चें और बाबा के संग इतà¥à¤° की होली खेलें।शिवाराधना समिति के मृदà¥à¤² मिशà¥à¤° ने बताया कि इतà¥à¤° की होली की परंपरा का निरà¥à¤µà¤¹à¤¨ पिछले 20 सालों से किया जा रहा है।काशीपà¥à¤°à¤¾, जगतगंज, पिपलानी कटरा, नाटी इमली और लकà¥à¤¸à¤¾ आदि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से लोग अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ घाट पर à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होंगे। वहां से ढोलक, à¤à¤¾à¤² और मंजीरे पर ऊं नम: शिवाय पंचाकà¥à¤·à¤°à¥€ मंतà¥à¤° का जाप करते हà¥à¤ हम अपने आराधà¥à¤¯ देवाधिदेव महादेव के दरबार में पहà¥à¤‚चें।बाबा के साथ हम लोग विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के इतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के संग होली खेलते हैं। पूरा परिसर इतà¥à¤° की खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ से महक उठता है। बाबा के साथ इतà¥à¤° की होली खेलने के बाद मंदिर के अरà¥à¤šà¤•, सेवादार और शिवà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के संग होली खेली जाती है।