‘लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾â€™ शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही किसी बदमाश और चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का खà¥à¤¯à¤¾à¤² आता है, लेकिन अपने मूल अरà¥à¤¥ में यह शबà¥à¤¦ बहà¥à¤¤ ही समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦ से विकसित हà¥à¤† है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के विकास में कà¥à¤°à¤® में अब से ढाई हजार साल पहले जैन धरà¥à¤® और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® सामने आà¤à¥¤ जैनों में, विशेषतौर पर दिगंबर संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ में, साधà¥à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बालों का लà¥à¤‚चन किया जाता है यानि हाथों से बाल उखाड़े जाते हैं। ये कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ मौजूद है। इसी से लà¥à¤‚च और लà¥à¤šà¥à¤š और लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾ का विकास हà¥à¤†à¥¤ इस शबà¥à¤¦ के साथ नकारातà¥à¤®à¤• अरà¥à¤¥ को जोड़ने का काम जैन धरà¥à¤® के निंदकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ किया गया।
रिपोर्ट - सà¥à¤¶à¥€à¤² उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ à¤à¤• राजनीति होती है और राजनीति शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ अपनी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प करने के लिठहमेशा ही कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² होती है। लेकिन, कोई à¤à¥€ राजसतà¥à¤¤à¤¾ कितनी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, वह शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को अपनी पसंद के अरà¥à¤¥ में थोपने में पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सफल नहीं होती। वजह, शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को उनके अरà¥à¤¥ लोक से यानी समाज से मिलते हैं। हालांकि, समाज के साथ à¤à¤• बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ यह होती है कि उसका सबसे समावेशी रूप à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ (इसमें धारà¥à¤®à¤¿à¤• बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होता है। इसका उदाहरण साल 2022 में लोकसà¤à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी अमानà¥à¤¯ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की सूची के रूप में देख सकते हैं या फिर वरà¥à¤· 2021 में हरियाणा में ‘गोरखधंधा’ शबà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पर रोक के तौर पर देख सकते हैं। हमारे दैनिक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होने वाले शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के सिर पर नफरत और निंदा का बोठà¤à¥€ लाद दिया जाता है। इस कà¥à¤°à¤® में तीन शबà¥à¤¦ देखिà¤-लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾, लंपट, गोरखधंधा। ‘लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾â€™ शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही किसी बदमाश और चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का खà¥à¤¯à¤¾à¤² आता है, लेकिन अपने मूल अरà¥à¤¥ में यह शबà¥à¤¦ बहà¥à¤¤ ही समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦ से विकसित हà¥à¤† है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के विकास में कà¥à¤°à¤® में अब से ढाई हजार साल पहले जैन धरà¥à¤® और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® सामने आà¤à¥¤ जैनों में, विशेषतौर पर दिगंबर संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ में, साधà¥à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बालों का लà¥à¤‚चन किया जाता है यानि हाथों से बाल उखाड़े जाते हैं। ये कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ मौजूद है। इसी से लà¥à¤‚च और लà¥à¤šà¥à¤š और लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾ का विकास हà¥à¤†à¥¤ इस शबà¥à¤¦ के साथ नकारातà¥à¤®à¤• अरà¥à¤¥ को जोड़ने का काम जैन धरà¥à¤® के निंदकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ किया गया। समय के साथ इस शबà¥à¤¦ का मूल अरà¥à¤¥ तिरोहित हो गया और बहà¥à¤¤ ही à¤à¤¦à¥à¤¦à¤¾ अरà¥à¤¥ सामने आया-नंगा, बदमाश, चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨, मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¹à¥€à¤¨à¥¤ अब इसके दो रूप पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ में हैं, पà¥à¤°à¥à¤· के लिठलà¥à¤šà¥à¤šà¤¾ और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के लिठलà¥à¤šà¥à¤šà¥€à¥¤ अब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि कोई चाहकर à¤à¥€ इस शबà¥à¤¦ को उसके मूल अरà¥à¤¥ तक नहीं ले सकता। शबà¥à¤¦à¤•à¥‹à¤¶à¥‹à¤‚ में दरà¥à¤œ अरà¥à¤¥ की बात अलग है। à¤à¤¸à¤¾ ही दूसरा शबà¥à¤¦ लंपट है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ सामà¥à¤¯ के आधार पर देखें तो शबà¥à¤¦ बनेगा-लंबपट या लंब-पट। यानी जिसका पट (अंगरखा, पूरे शरीर पर पहना हà¥à¤† बिना सिला कपड़ा) लंबा है। आज à¤à¥€ बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का लंबपट पहनते हैं। पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ लाघव के नियम को सामने रखकर देखें तो ‘ब’ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ का लोप हà¥à¤† और लंपट हाजिर हो गया। इस बदलाव में कोई बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ नहीं थी, लेकिन इसके साथ जो अरà¥à¤¥ नतà¥à¤¥à¥€ किया गया, वह घृणित था। अब लंपट का अरà¥à¤¥ है-गिरा हà¥à¤† इंसान, औरतबाज, चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨, कामी, वà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°à¥€à¥¤ इस पर à¤à¥€ यही बात लागू होती है जो लà¥à¤šà¥à¤šà¤¾ शबà¥à¤¦ पर लागू हà¥à¤ˆà¥¤ इस शबà¥à¤¦ पर नठअरà¥à¤¥ के आरोपण का जिमà¥à¤®à¤¾ बौदà¥à¤§-निंदकों ने संà¤à¤¾à¤²à¤¾à¥¤ इसे विशेषण के रूप में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·, दोनों के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाया जाता है। इन दोनों शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को लेकर पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ कवि लीलाधर जगूड़ी का मानना है कि जैन और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤®à¤¾à¥‡à¤‚ के विकास के बाद तीन तरह के साधू-संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ मांगने आते थे। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ इनकी पहचान को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठलंबपट, लà¥à¤‚चित आदि का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हà¥à¤† होगा और बाद में धारà¥à¤®à¤¿à¤• वैमनसà¥à¤¯ के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नकारातà¥à¤®à¤• अरà¥à¤¥ में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाने लगा। लगà¤à¤— यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ गोरखधंधा शबà¥à¤¦ की à¤à¥€ है। इस शबà¥à¤¦ के बारे में पहले à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› लिखा जा चà¥à¤•à¤¾ है। नà¥à¤¸à¤°à¤¤ फतेह अली खान की à¤à¤• कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€ का मà¥à¤–ड़ा है-तà¥à¤® इक गोरखधंधा हो। वे इसके जरिये ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ को अबूठमानते हैं। लेकिन, अब गोरखधंधा का शबà¥à¤¦ को अनैतिक और गैरकाूननी कामों के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में लाया जाता है। मूलतः गोरखधंधा शबà¥à¤¦ नाथ, योगी, जोगी, जà¥à¤—ी संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की धरà¥à¤®-साधना में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पारिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤• शबà¥à¤¦ है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि गà¥à¤°à¥ गोरखनाथ ने परम सतà¥à¤¯ को पाने के लिठकई विधियों को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया। ये विधियां अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प में जटिल और कठिन हैं। आम आदमी के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² होता है इसीलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गोरखधंधा या धंधारी कहा जाने लगा। बाद में उसे उलà¤à¤¨ और à¤à¤‚à¤à¤Ÿ वाले कामों के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाने लगा। कà¥à¤² मिलाकर यह शबà¥à¤¦ अपने मूल अरà¥à¤¥ से काफी दूर हो गया और निंदातà¥à¤®à¤• सà¥à¤µà¤° के साथ जà¥à¥œ गया।