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तन को जोगी सब करें मन को बिरला कोय सहजे सब विधि पाई जो मन जोगी होए


तन को जोगी सब करें मन को बिरला कोय सहजे सब विधि पाई जो मन जोगी होए यानी वेशभूषा बदल लेने से बाहरी शरीर की सफाई कर लेने से कोई शुद्ध स्वच्छ नहीं हो सकता जब तक विचारों की शुद्धता वह आचरण में शुद्धता ना हो अन्यथा मानव इस प्रकार है जैसे कूड़े के ढेर को ढकने के लिए उसके ऊपर एक साफ चादर बिछा दी गई हो इसलिए हे|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 22 अगस्त 2022 तन को जोगी सब करें मन को बिरला कोय सहजे सब विधि पाई जो मन जोगी होए यानी वेशभूषा बदल लेने से बाहरी शरीर की सफाई कर लेने से कोई शुद्ध स्वच्छ नहीं हो सकता जब तक विचारों की शुद्धता वह आचरण में शुद्धता ना हो अन्यथा मानव इस प्रकार है जैसे कूड़े के ढेर को ढकने के लिए उसके ऊपर एक साफ चादर बिछा दी गई हो इसलिए हे बंधु तन और मन की स्वच्छता विचारों में स्वच्छता होना आवश्यक है श्री प्रेम गिरी बनखंडी आश्रम कांगड़ी में अपने श्री मुख से ज्ञान की वर्षा करते हुए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर परम पूज्य संजय गिरी जी महाराज ने कहा पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय यानी यानी ग्रंथ या पोतिया पढ़ने से कोई भी तब तक पंडित नहीं बन सकता जब तक उस में लिखें तथ्यों वह बातों को मनुष्य स्वयं अपने अंदर धारण न कर ले तथा उसके अनुसार अपने अंदर ज्ञान का प्रकाश उदय ना कर ले तथा दूसरों के प्रति दया प्यार वह करुणा उसमें विदमान् हो जाएं जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान दुख में सुमिरन सब करें सुख में करे न कोई जो सुख में सिमरन करें तो दुख काहे को होय माली आता देखकर कलियन कहे पुकार यानी फूले फूले चुने लिए कली हमारी बार यानी माली को देखकर कालिया आपस में बात कर रही हैं कि आज जो हमारे से बड़े बुजुर्गों फूल हो गए थे उन्हें माली तोड़ रहा है किंतु कल हमारी बारी है इसलिए हे भक्तजनों ज्ञानवर्धक बातें सुनने से या कुछ पल सत्संग सुन लेने से कल्याण संभव नहीं है मनुष्य का कल्याण तभी संभव है जब वह उस ज्ञान को सुनकर अपने तन मन में धारण करें उसका अनुसरण करें तथा बिना किसी की भावनाओं को आहत करें अपने सांसारिक जीवन को जिये|

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