हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्धघाटन चौरास परिसर स्थित स्वामी मन मंथन सभागार में "हिमालय और उप हिमालय क्षेत्रों में विकास और राजनीति : संबंधों और संभावनाओं की खोज" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है ।
रिपोर्ट - अंजना भट्ट घिल्डियाल
राजनीति विज्ञान विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्धघाटन चौरास परिसर स्थित स्वामी मन मंथन सभागार में "हिमालय और उप हिमालय क्षेत्रों में विकास और राजनीति : संबंधों और संभावनाओं की खोज" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है । इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में इतिहासकार ओर लेखक प्रो शेखर पाठक, राष्ट्रीय फोरेंसिक साइंस विश्व विद्यालय त्रिपुरा प्रो० के एन जेना रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नॉटियाल ने की। संगोष्ठी के संयोजक प्रो एम एम सेमवाल ने कहा कि हिमालय सबसे नवीन ओर सबसे संवेदनशील क्षेत्र है जिस पर लगातार खतरे उतपन्न हो रहे हैं इसलिए इस तरह के कार्यक्रम अत्यंत प्रासंगिक हैं ताकि हिमालय की आत्मा को बचाने के लिए कुछ गंभीर प्रयास किये जा सकें। प्रो शेखर पाठक ने महान हिमालय की पारिस्थितिकी से परिचित कराते हुए कहा कि हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में नहीं है बल्कि एशिया महाद्वीप के हृदय में अवस्थित है । इसके साथ ही उन्होंने हिमालय से निकलने वाली नदियों , ब्रह्मपुत्र, गंगा,सिंधु मेकोंग आदि के बारे से विस्तार से बताया । उन्होंने हिमालय क्षेत्र की हिन्दू ,बौद्ध धर्मों में वर्णित मायथोलॉजीकल महत्व के बारे में जानकारी दी । प्रो पाठक ने हिमालय के संसाधनों , ग्लेशियरों, पर्वतों के बारे में भी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 70 % कृषि भूमि है जबकि उत्तराखंड राज्य में सिर्फ 5 प्रतिशत ही इस प्रकार की भूमि है,इसके लिए उन्होंने पड़ोसी राज्य हिमांचल प्रदेश की तरह मजबूत भू कानून की वकालत की । उत्तराखंड में अनियोजित तथा अनियंत्रित विकास की अंधी दौड़ की तरफ चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहाड़ में नए प्रकार की समस्याओं को जन्म दे रहा है । पलायन को उन्होंने सकारात्मक तथा नकारात्मक रूप ने व्यक्त करते हुए कहा कि पुष्पेश पंत ,महेंद्र सिंह धोनी जैसे विख्यात व्यक्तित्व इसी के परिणाम हैं किंतु इससे यहां के निवासी अपनी जड़ों से कट गए हैं जिसका मूल ब्रिटिश काल से देखा जा सकता है । प्रो पाठक ने गढ़वाल हिमालय के बारनाजा तथा नेपाल के अठारह नाजा का जिक्र करते हुए कहा कि हिमालय एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जहां इतने प्रकार के गहने , पहनावे , डांस, भाषा ,खान पान , जूते , बोलियां , जीवन शैली तथा कला शैलियों हैं । अपने संबोधन के अंत में जोशीमठ का जिक्र करते हुए इस पूरे क्षेत्र की स्थिति का संदर्भ प्रस्तुत किया ।