गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में शनिवार को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े सक्रिय सदस्यों, जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्त्ता संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी का शुभारंभ वरिष्ठ कार्यकर्त्ता शिवप्रसाद मिश्र ने दीप प्रज्वलन कर किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 25 फरवरी। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में शनिवार को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े सक्रिय सदस्यों, जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्त्ता संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी का शुभारंभ वरिष्ठ कार्यकर्त्ता शिवप्रसाद मिश्र ने दीप प्रज्वलन कर किया। संगोष्ठी उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। यह अनंतकाल से चलता आ रहा है। इसके माध्यम से जीवन मूल्यों, नैतिक मूल्यों को समझा जाता है। साथ ही आध्यात्मिक एवं मानसिक विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा इन्हीं गुणों के विकास के लिए विद्यार्थियों को जोड़ने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि भासंज्ञाप का मुख्य उद्देश्य है कि स्कूली बच्चे भारतीय संस्कृति के तथ्यों से अवगत हों तथा उसमें निहित महान तत्वों का समावेश इन बच्चों के व्यक्तित्व में हो सके। राष्ट्रीय जोनल समन्वयक डॉ. ओपी शर्मा ने भासंज्ञाप के 2023 की कार्य योजना पर विस्तृत जानकारी दी। डॉ शशिकला साहू ने किशोरों में भारतीय संस्कृति ज्ञान की पुनर्स्थापना पर व्याख्यान दिया। संगोष्ठी के प्रथम दिन चक्रधर थपलियाल आदि ने भी प्रतिभागियों का मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर छग, मप्र, दिल्ली, गुजरात, झारखण्ड, हिमाचल, हरियाणा, उप्र, सहित दस राज्यों के चार से सौ अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।