गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में बुधवार को पांच दिवसीय राष्ट्रीय सक्रिय कार्यकर्ता शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर का शुभारंभ देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ कार्यकर्ता शिवप्रसाद मिश्र एवं राष्ट्रीय जोनल समन्वयक डॉ ओपी शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 1 मार्च। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में बुधवार को पांच दिवसीय राष्ट्रीय सक्रिय कार्यकर्ता शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर का शुभारंभ देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ कार्यकर्ता शिवप्रसाद मिश्र एवं राष्ट्रीय जोनल समन्वयक डॉ ओपी शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत साधक का सविता को अर्पण, शिष्यों का गुरु को समर्पण भक्ति संगीत से हुआ। शिविर के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जब-जब धर्म, अध्यात्म व संस्कृति कराहती है, अकुलाती है, तब-तब प्राणी मात्र के कल्याण व मंगल करने के लिए विविध रूपों में भगवान धरती पर आते हैं। उन्होंने कहा कि साधकों की श्रद्धा, विश्वास और समर्पण ही भगवान से मिलन का माध्यम बनता है। साधक, शिष्यों की साधना जितनी बलवती होगी, उसी रूप में भगवान की कृपा व आशीष मिलता है। अध्यात्म क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के मेंबर डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि मन के मैल को साधना द्वारा बुहारते हुए मन को स्वच्छ रखा जा सकता है। स्वच्छ व पवित्र मन वाले मानवों को भगवान का विशेष आशीर्वाद मिलता है। संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जिस तरह श्रद्धा, निष्ठा एवं समर्पण से ही भक्त प्रह्लाद के जीवन की रक्षा हुई। श्रीकृष्ण ने मीरा को जहर से बचाया। उसी तरह आज भी भगवान अपने शिष्यों को बचाते हैं। श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने नारी जागरण की दिशाधारा एवं महिला सशक्तिकरण के विविध पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. गोपाल शर्मा ने किया।