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निक्षय मित्रों के मिलने से क्षय रोगियों का हौंसला बुलन्द : डॉ बत्रा


‘प्रधानमंत्री जी के टी.वी. मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत एस.एम.जे.एन. काॅलेज में आज काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी द्वारा क्षय रोगियों हेतु नि-क्षय पोष्टिक फूडकिटो का वितरण किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 27 मार्च, 2023 ‘प्रधानमंत्री जी के टी.वी. मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत एस.एम.जे.एन. काॅलेज में आज काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी द्वारा क्षय रोगियों हेतु नि-क्षय पोष्टिक फूडकिटो का वितरण किया गया। काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को जनादोंलन बनाकर लोगों में क्षयरोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। क्षय रोगियों को गोद लेकर भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराए जाने के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इससे बीच में उपचार छोड़ देने की समस्या पर काफी हद तक अंकुश लगा है। उन्होंने बताया नि क्षय मित्र मिलने से टीबी रोगियों का हौंसला बढ़ जाता है, जब उन्हें यह पता लगता है कि परिवार के अलावा भी ऐसे लोग समाज में हैं जो उनकी परवाह करते हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता करते हैं और वह नियमित रूप से दवा खा रहे हैं या नहीं, इस बारे में पूछते हैं। कई लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसे नहीं होती कि वह उच्च प्रोटीन युक्त पोषाहार प्राप्त कर सकें। डॉ बत्रा ने बताया कि एस एम जे एन पीजी कालेज के नि -क्षय मित्र हर माह पुष्टाहार उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत ने विश्व के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है। यही विश्वास अब भारत क्षयरोग के उन्मूलन में प्रधानमंत्री के द्वारा चलाए जा नि क्षय मित्र योजना के द्वारा दिख रहा है। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ प्रभारी डाॅ. संजय माहेश्वरी ने बताया कि ‘प्रधानमंत्री टी.वी. मुक्त भारत अभियान’ के तहत नि-क्षय मित्र द्वारा महाविद्यालय में माह मार्च हेतु 22 क्षय रोगियों हेतु नि-क्षय पोष्टिक फूडकिटो का वितरण किये जाने में प्रो. सुनील कुमार बत्रा, प्रो. तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी, प्रो. जे.सी. आर्य, डाॅ. नलिनी जैन, विनय थपलियाल, डाॅ. सुषमा नयाल, श्रीमती कविता छाबड़ा, कु. वन्दना सिंह, मोहन चन्द्र पाण्डेय, श्रीमती रिंकल गोयल, डॉ प्रदीप त्यागी, डॉ पूर्णिमा सुन्दरियाल, डॉ विजय शर्मा, डॉ पुनीता शर्मा, डॉ मोना शर्मा, डॉ सरोज शर्मा, डॉ आशा शर्मा, श्री मती रूचिता सक्सेना, आलोक शर्मा, संजीत कुमार व डाॅ. शिवकुमार चौहान का योगदान रहा।

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