प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान शांतिकुंज में इन दिनों देश-विदेश से हजारों गायत्री साधक सामूहिक साधना कर रहे हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव चल रहे इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के अवसर पर शांतिकुंज में मुख्य सभागार में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र आध्यात्मिक विकास हेतु पात्रता, योग्यता बढ़ाने का सुनहरा अवसर है|
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 28 मार्च। प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान शांतिकुंज में इन दिनों देश-विदेश से हजारों गायत्री साधक सामूहिक साधना कर रहे हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव चल रहे इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के अवसर पर शांतिकुंज में मुख्य सभागार में जुटे साधकों को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र आध्यात्मिक विकास हेतु पात्रता, योग्यता बढ़ाने का सुनहरा अवसर है और अपने अंदर छिपे देवत्व को जगाने का सर्वोत्तम समय है। इस समय मनोयोगपूर्वक साधना करने वाले साधकों में दैवीय अनुदान बरसता है और नई चेतना का संचार होता है। जिससे साधक का व्यक्तित्व प्रखर होता है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रतिष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु के अनुशासनों का पालन करने से शिष्य का कल्याण होता है। अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि इन दिनों सांस्कृतिक परिवर्तन की नई गाथा लिखी जा रही है। इसमें भारत का स्वाभिमान, संस्कृति आदि को नये सिरे से लिखा जाना है। डॉ. चिन्मय जी ने युगधर्म का स्मरण कराते हुए विभिन्न कथानकों का उल्लेख किया।