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काव्य संध्या के साथ हुआ कला प्रदर्शनी का समापन


शिवालिक नगर नगर के टी-क्लस्टर में लगी चतुर्थ अ.भा. चित्रकला प्रदर्शनी सुमधुर काव्य संध्या के साथ सम्पन्न हो गयी और चित्रकला प्रदर्शनी 12 दिन तक चली। इस काव्य संध्या में नगर की तीन साहित्यिक संस्थाओं पारिजात, परिक्रमा और दीपशिखा से सम्बद्ध शीर्ष कविगण प्रतिभागी बने।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। शिवालिक नगर नगर के टी-क्लस्टर में लगी चतुर्थ अ.भा. चित्रकला प्रदर्शनी सुमधुर काव्य संध्या के साथ सम्पन्न हो गयी और चित्रकला प्रदर्शनी 12 दिन तक चली। इस काव्य संध्या में नगर की तीन साहित्यिक संस्थाओं पारिजात, परिक्रमा और दीपशिखा से सम्बद्ध शीर्ष कविगण प्रतिभागी बने। कार्यक्रम की शुरुआत वाग्देवी माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन से हुई। इसके उपरान्त कंचन प्रभा गौतम के वाणी वंदना 'मेरे कंठ में जो भी सुर है, तेरा ही वरदान है माँ' के बाद, अपनी प्रस्तुति भी एक भजन 'खुद से खुद मैं हुई बेगानी, तेरे प्रेम में हुई दीवानी, मीरा सी यह बनी कहानी, श्याम रंग रंग भई बिरानी' के रूप में रखी। इस काव्य संध्या में प्रस्तुत किये गये प्रेम गीतों से ऐसा रह-रह कर झलकता रहा कि रचनाकारों के ज़हन से ऋतुराज बसंत, फागुन और होली की मस्ती अभी तक उतरी नहीं है। इसी क्रम को सुरों में सजाते हुए, डा. कल्पना कुशवाहा 'सुभाषिनी' ने 'मैं सुर तेरा बन जाऊँगी गीत मेरे तुम बन जाओ', कवि, गीतकार और भजन गायक अभिनन्दन कुमार 'अभि रसमय' ने 'वादा है प्यार का निभाना है, आज चले जाओ तुम्हें कल फिर आना है', लीला जोशी ने 'तुम न आए निठूर पीर पलती रही, रात भर दीप सी हाय जलती रही' अरुण कुमार पाठक ने 'मन फूल उठा झूल उठा, जब आयी फागुन बयार पिया का संदेशा लिये', प्राख्यात चित्रकार व कवि डा. प्रमोद कुलश्रेष्ठ ने 'सखी तुम्हारा रंग चढ़ गया अपनी होली होली रे' और राजकुमारी थर्रान 'रोप लिए सपनों के अंकुर प्राण तुम्हारे वादों में' जैसे प्रेम गीतों ने तो कम से कम‌ यही साबित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन चेतना पथ के प्रकाशक व संपादक, कवि व गीतकार अरुण कुमार पाठक ने किया दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की अध्यक्ष ने काव्य संध्या की अध्यक्षता करते हुए डा. मीरा भारद्वाज ने 'मेरे देश की धरती पर सदा भाई तेरा नीर, मोक्षदायिनी है मां गंगे जर्जर तेरा तेरा नीर' के साथ पतित पावनी माँ गंगा को नमन किया, सुश्री वृंदा शर्मा ने 'राम राज्य के हम अभिलाषी, वाक्य खोज को दें विराम' कह कर रामराज्य की अवधारणा के दर्शन कराये तो महेन्द्र कुमार ने 'वापस मुझे दिला दे कोई वह मेरा बीता बचपन' सुनाकर श्रोताओं को अतीत की यादों में डुबो दिया। नीता नय्यर 'निष्ठा' ने 'आओ जोड़ें दिलों को मिलकर सभी संगदिल ज़माने की परवा से क्या फायदा' कह कर सामाजिक व्यवस्था पर तंज कसे। युवा कवि अरविन्द दुबे ने 'बहुत पा लिया है सबर कीजिएगा जो मालिक ने भेजा बसर कीजिएगा' के साथ संतोषं‌ परम् का संदेश दिया। श्रीमती किरण गुप्ता ने 'भर दो जीवन में हमारे ज्ञान का तुम शुभ प्रकाश' के साथ जग की सुख-समृद्धि की कामना की तो अमन शुक्ला 'शशांक' ने युवा जोशो ख़रोश के साथ 'कूट कूट देशभक्ति, माँ भारती से प्यार हो' श्रोताओं की नस-नाड़ियों में देशभक्ति का संचार करके ख़ूब तालियाँ बटोरी। इसी कार्यक्रम में आचार्यकुलम हरिद्वार की भावना सिंह को अखिल भारतीय चित्रकला प्रतियोगिता में राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने और डीपीएस में आठवीं कक्षा की छात्रा कु. सुदीक्षा सिंह को हाल ही में सम्पन्न हुई अन्तर-विद्यालयी चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया। प्रदर्शनी के आयोजक तथा राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कला शिक्षक अशोक गुप्ता ने पुरस्कार समारोह से जुड़े संस्मरण साझा किये। प्रदर्शनी में भाग ले रहे अनेक चित्रकारों के साथ कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार, अध्यात्मिक चिंतक, लेखिका व वक्ता डा. राधिका नागरथ, पत्रकार सुनील दुबे, संजय जायसवाल, एस.पी.एस. सेंगर, डा. शशि चौपड़ा, अपर्णा सिन्हा, पारुल गोगना तथा सुमन कुमार नय्यर मुख्यरूप से उपस्थित थे।

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