परमार्थ निकेतन आया प्रवासी भारतीयों के दल। विशेष रूप से बच्चों को भारतीय संस्कार, संस्कृति और वैदिक ज्ञान की जानकारी देने तथा भारतीय जीवन शैली और आध्यात्मिकता का दर्शन करने हेतु प्रवासी भारतीयों के दल ने परमार्थ निकेतन में रहकर अपनी संस्कृति के दर्शन जीवंत और जागृत रूप में कराये।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 9 अप्रैल। परमार्थ निकेतन आया प्रवासी भारतीयों के दल। विशेष रूप से बच्चों को भारतीय संस्कार, संस्कृति और वैदिक ज्ञान की जानकारी देने तथा भारतीय जीवन शैली और आध्यात्मिकता का दर्शन करने हेतु प्रवासी भारतीयों के दल ने परमार्थ निकेतन में रहकर अपनी संस्कृति के दर्शन जीवंत और जागृत रूप में कराये। भारत, संस्कृति और संस्कारों से समृद्ध राष्ट्र है। भारत पर्वो और त्यौहारों का देश है, शायद ही कोई दिन होगा जब देश के किसी कोने में त्यौहार न मनाया गया हो इसलिये भारत में विविधता में एकता की संस्कृति है। स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में हमारा राष्ट्र संस्कृतियों का सृजन व संरक्षण करने वाला राष्ट्र है। पश्चिम में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को अपने राष्ट्र का स्मरण होते ही याद आता है कि हमारा देश विविधताओं से युक्त राष्ट्र है जहां पर विभिन्न संस्कृतियों का दिव्य संगम होता हैं। भारत के संयुक्त परिवार और आध्यात्मिकता का महत्व समझाने के लिये विदेश में रहे भारतीय इस दिव्य संस्कृति के जीवंत और जागृत स्वरूप का दर्शन कराने हेतु प्रतिवर्ष अपने बच्चों को परमार्थ निकेेतन लेकर आते हैं ताकि बच्चे अपने माटी, अपने समाज, संस्कृति, संस्कारों से भावनात्मक रूप से जुडं़े रहे क्योंकि अपनी संस्कृति और संस्कारों से; मूल और मूल्यों से जुड़कर ही स्वस्थ, सशक्त और समृद्ध समाज का निर्माण किया जा सकता हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत ही भारत की पहचान है, इसी के दर्शन कराने हेतु पश्चिम में रह रहे अनेक भारतीय परिवार परमार्थ निकेतन आकर बच्चों को अपनी माटी से जोड़ते हैं। अमरीका से आये बच्चे विगत एक सप्ताह से परमार्थ निकेतन में रहकर वैदिक एवं वैज्ञानिकता से युक्त जीवन पद्धति को आत्मसात कर रहे है। सूर्योदय से पूर्व जागरण, गंगा स्नान, दैनिक प्रार्थना, तुलसी पूजन, सूर्य नमस्कार व सूर्य भगवान को अध्र्य अर्पण, योग, ध्यान, प्रातःकालीन यज्ञ, गीता पाठ, वैदिक मंत्रोपचार और सायंकालीन गंगा आरती, पूज्य संतों का दर्शन और सत्संग आदि गतिविधियों को आत्मसात कर आज पर्यावरण संरक्षण के संकल्प व पौधा रोपण के पश्चात उन्होंने प्रस्थान किया।