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परमार्थ निकेतन में गंगा आरती आचार्य विनोबा भावे को की समर्पित


अहिंसा और समानता के सिद्धान्तों का पालन करने वाले आध्यात्मिक शिक्षक आचार्य विनोबा भावे जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत ने ऐसे दिव्य रत्नों को जन्म दिया जिन्होंने भारत को भारत बनाये रखने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 11 सितम्बर। अहिंसा और समानता के सिद्धान्तों का पालन करने वाले आध्यात्मिक शिक्षक आचार्य विनोबा भावे जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत ने ऐसे दिव्य रत्नों को जन्म दिया जिन्होंने भारत को भारत बनाये रखने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय आचार्य विनोबा भावे एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा गांधीवादी नेता थे। वे ‘भूदान यज्ञ’ आन्दोलन के संस्थापक थे। 1951 में जब वह आन्ध्र प्रदेश के गाँवों में भ्रमण कर रहे थे, भूमिहीन अस्पृश्य लोगों या हरिजनों के एक समूह के लिए जमीन मुहैया कराने की अपील के जवाब में एक जमींदार ने उन्हें एक एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव किया। इसके बाद वह गाँव-गाँव घूमकर भूमिहीन लोगों के लिए भूमि के दान करने की अपील करने लगे और उन्होंने इस दान को गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त से संबंधित कार्य बताया। विनोबा भावे जी के अनुसार, यह भूमि सुधार कार्यक्रम और भूमि दान का यज्ञ हृदय परिवर्तन के तहत होना चाहिए। उस समय भूमिहीनों और भूस्वामियों के बीच मालिकाना हक के असंतुलन के कारण भारी संघर्ष मचा हुआ था। इस संघर्ष के कारण को जानने, समझने तथा उसे शान्त करने के लिये आचार्य विनोबा जी ने पदयात्रा शुरू की और इसे पूरे भारत में लेकर गये और उन्होंने इसे सफल कर दिखाया। बाद में उन्होंने जनसमुदाय को ग्रामदान के लिए प्रोत्साहित किया। विनोबा जी के सरल व सहज विचार ने असंख्य भूमिहीनों को जीविका का जरिया प्रदान किया।

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