परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन ‘महागौरी पूजन महाअष्ठमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि महागौरी बुद्धि और शांति का प्रतीक हैं।
रिपोर्ट - ऑल न्यूज़ ब्यूरो
ऋषिकेश, 22 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन ‘महागौरी पूजन महाअष्ठमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि महागौरी बुद्धि और शांति का प्रतीक हैं। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जब कालरात्रि ने गंगाजी में स्नान किया तो उनका रंग गुलाबी आभा वाला हो गया जो आशा, उम्मीद और सकारात्मकता को दर्शाता है। अष्टमी को ही माँ का महिषासुर मर्दिनी के रूप में अवतरण हुआ था। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे पर्व, त्यौहार और उत्सव हमें अपनी मूल, मूल्यों और जड़ों से जोड़ते हैं। इन पर्वों के पीछे एक सकारात्मक संदेश होता है, हम उत्सवों के माध्यम से उन संदेशों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं। स्वामी जी ने कहा कि दुनिया में मूल्यवान वही होता है जो दुर्लभ होने के साथ महत्वपूर्ण भी होता है। जिसे हम बना तो नहीं सकते परन्तु उसका समायोजित रूप से उपयोग कर संरक्षण जरूर कर सकते हैं। पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रत्येक प्राणी का पृथ्वी पर व्याप्त प्रत्येक संसाधन पर बराबर का अधिकार होता है लेकिन वर्तमान समय में समाज में हमें अत्यधिक असमानता देखने को मिलती है और यह असमानता कुछ लोगों के द्वारा अन्य लोगों के अधिकारों पर कब्जा करने तथा उनके प्राकृतिक अधिकारों के हनन के कारण उत्पन्न होती है। धरती पर व्याप्त प्राकृतिक अधिकारों को प्राप्त कर समानता का जीवन जीना सभी का अधिकार है यही माँ दुर्गा ने आसुरी शक्तियों का नाश कर संदेश दिया और जो दुष्ट दूसरों के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहे थें उनका नाश किया।