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नव वर्ष में एक नई सोच व संकल्प के साथ बढ़ें शान्ति है तो समृद्धि है - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव जीवा साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 31 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन में असम के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त बिश्वा सरमा जी और उनकी धर्मपत्नी रिनिकी भूया जी सरमा जी आये। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव जीवा साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर बार्डर टूरिज्म, जैविक खेती, पौधारोपण, फलदार पौधों के रोपण, उत्तराखंड व असम की धरती पहाड़ों की धरती है इस पर पौधारोपण व जल संरक्षण के क्षेत्र में किये जाने वाले प्रयोगों व शोधों पर चर्चा की। स्वामी जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रशन्सा करते हुये कहा कि असम की धरती पर लाखों की संख्या में पौधारोपण कर एक मिसाल कायम कर रहे हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत सरकार, असम और उल्फा के साथ त्रिपक्षीय शान्ति समझौता ऐतिहासिक शांति समझौता है। यह वास्तव में असम और पूर्वाेत्तर राज्यों के लिये नए युग की शुरुआत है। इससे न केवल असम में सांस्कृतिक विरासत व शान्ति बनी रहेगी बल्कि पूरे भारत में भी शान्ति की स्थापना होगी क्योंकि शान्ति है तो समृद्धि है। अगर सभी शान्ति बनायें रखेंगे तो असम से आसमान की ओर बढ़ेंगे क्योंकि यह समाज के लिये बहुत जरूरी है। स्वामी जी ने गंगा के तट से आह्वान किया कि आईये मिलकर करें समस्याओं का समाधान और असम को ले चलंे प्रगति के आसमान की ओर। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रसिद्ध कवि, नाटककार, सुगायक, नर्तक, समाज संगठक, तथा हिन्दू समाजसुधारक श्रीमन्त शंकरदेव जी को याद करते हुये कहा कि।15वीं-16वीं सदी के वैष्णव संत, श्रीमंत शंकरदेव जी नववैष्णव; एकशरण धर्म का प्रचार करके असमिया जीवन को एकत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने समाज को जाति व्यवस्था से मुक्त करने के लिए अथक संघर्ष किया। वे भारतवर्ष में एक समतावादी समाज का निर्माण करना चाहते थे। वे न केवल एक भक्ति संत थे बल्कि एक अभूतपूर्व लेखक और संगीतकार व समाज सुधाकर भी थे उनकी साधना व राष्ट्रभक्ति को नमन।

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