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अयोध्या विश्व की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक नगरी स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अमेरिका से सीधे अयोध्या पधारे। उन्होंने कहा कि अयोध्या ही नहीं पूरी मानवता प्रभु श्री राम का अभिनन्दन करने के लिये उत्सुक है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

अयोध्या, 21 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अमेरिका से सीधे अयोध्या पधारे। उन्होंने कहा कि अयोध्या ही नहीं पूरी मानवता प्रभु श्री राम का अभिनन्दन करने के लिये उत्सुक है। प्रभु श्री राम ने सनातनियों की विनती सुनी। वर्तमान समय में न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व श्रीराममय दिखायी दे रहा है। अमेरिका सहित विश्व के कई देशों की यात्रा के पश्चात पधारे स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सभी उत्सुकतावश यही कह रहे थे कि आप अयोध्या जा रहे हैं। इस समय श्री राम की गंूज और धुन चारों ओर है। स्वामी जी ने कहा कि यह परिवर्तन की वेला है; ये पवित्रता की वेला है जिसका श्रेय भारत के यशस्वी, ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जाता है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय भारत का है। विगत दस वर्षों को देखंे केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व इसका गुणगान कर रहा है। भारत ने विश्व मानचित्र पर एक विशिष्ट स्थान बनाया है। 45 वर्ष पहले मैने देखा अमेरिका में भारत, भारत की छवि और भारत संस्कृति कहां थी और आज अमेरिका व अन्य देशों में भारत भी है, भारत की संस्कृति भी है और भारत की उत्कृष्ट छवि भी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही मैं अयोध्या पहुंचा, अयोध्या में सनातन की दिव्य लहर है। चारों ओर उत्साह व उमंग है। पांच सौ वर्षों की पीड़ा आज प्रेरणा में बदल रही है। यह धैर्य, धीरज और प्रतीक्षा का अमर फल है। अयोध्या में अब सूना-सूना नहीं बल्कि सब सोना-सोना हो गया है अब तो लगता है पूरे भारत की तकदीर बदलने वाली है। श्रीराम मन्दिर प्राण-प्रतिष्ठा वर्षों के धैर्य और शौर्य का परिणाम है। श्री रामलला वर्षों तक टाट के नीचे विराजमान रहे, उन्होंने सभी को आज़ाद कराया, आबाद कराया आज वह दिव्य घड़ी आयी हैं, वर्षों से साधना, मौन, तपस्या कर रहे महात्माओं का मौन से मुखर होने का समय आ गया है। 500 वर्षों की पीड़ा पूरे विश्व के लिये प्रेरणा बन गयी है। स्वामी जी ने कहा कि यह समय शक, शिकवों व शिकायतों का माहौल बनाने व मातम मनाने का नहीं है बल्कि यह महोत्सव का समय है। यह समय मर्सिया के गीत नहीं महोत्सव के संगीत गाने का है। लोगों के लिये रास्ता बनाने का है रोड़े बनने का नहीं। उन्होंने कहा कि आस्था है तो रास्ता है। आईये मिलकर भारत के नवनिर्माण का रास्ता तैयार करे क्योंकि वर्षों की पीड़ा का अंत हुआ, यह पीड़ा पूरे विश्व के लिये प्रेरणा बन रही है। वर्षों बाद एक ऐसी तारीख आयी है जो भारत की तकदीर बदलने वाली है, ये सनातन की लहर है, विकास व विरासत; साइंस व स्पिरिचुअलिटी की लहर है। आईये इस उत्सव को महा उत्सव बनाये। अपने द्वार व दिल में श्री राम का दीप जलायें।

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