इस अवसर पर जल संरक्षण की विभिन्न योजनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी जी ने जल संरक्षण के लिये वैश्विक स्तर पर उपयोग की जाने वाली विभिन्न पद्धतियों के विषय में जानकारी दी।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
ऋषिकेश, 6 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री श्री प्रेमचंद बैरवा जी की भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर जल संरक्षण की विभिन्न योजनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी जी ने जल संरक्षण के लिये वैश्विक स्तर पर उपयोग की जाने वाली विभिन्न पद्धतियों के विषय में जानकारी दी। साथ ही कृषि व उद्योगों में हो रहे जल के अत्यधिक उपभोग को कम करना तथा आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर जल की खपत को कम कर जल प्रबंधन आदि पर विस्तृत चर्चा की। स्वामी जी ने कहा कि जल दक्षता में सुधार करना, जल की बर्बादी को कम करना और जल की गुणवत्ता को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है और इसके लिये जल स्रोतों का विस्तार करना होगा। साथ ही राजस्थान जैसे राज्य में जल संसाधन यथा नदी, झील, आर्द्रभूमि, वन एवं मृदा जैसे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और उन्हें पुनसर््थाापित करना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर माननीय उपमुख्यमंत्री श्री श्री प्रेमचंद बैरवा जी ने मटका थिम्बक सिंचाई की एक प्राचीन विधि है के विषय में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि इसमें पौधों को जल देने के लिये सूक्ष्म छिद्रयुक्त मटकों का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में मटकों में जल भरकर इसे जमीन में गाड़ दिया जाता है, जहाँ केवल इसकी गर्दन मिट्टी के ऊपर उभरी रहती है। मटके से जल रिसता रहता है और धीरे-धीरे आसपास के पौधों तक फैल जाता है। ये मटके पौधों को कम से कम पाँच दिनों तक नमी और जल प्रदान कर सकते हैं। इन प्राचीन प्रणालियों को पुनः जीवित करना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जल हमारा भविष्य ही नहीं बल्कि वर्तमान भी है अतः जल की हर एक बूंद को संरक्षित करना हमारा दायित्व हैं क्योंकि जल की हर बूंद में जीवन है। जिस प्रकार हमें जीने का अधिकार है उसी प्रकार हमारी नदियों को भी स्वछन्द होकर अविरल व निर्मल रूप से प्रवाहित होने का अधिकार है।