देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) एवं देवसंस्कृति विवि के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का भाषा वैज्ञानिक पक्ष और तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आरंभ हुआ।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार ६ मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) एवं देवसंस्कृति विवि के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का भाषा वैज्ञानिक पक्ष और तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आरंभ हुआ। माननीय राज्यपाल ले०ज० (सेनि) श्री गुरमीत सिंह जी, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, सीएसटीटी के अध्यक्ष प्रो० गिरिश नाथ झा एवं असि० डायरेक्टर जे०एस० रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल श्री सिंह ने कहा कि सं यानि श्वांसों का जो कृत करें, वही संस्कृत है। संस्कृत के मंत्रों के उच्चारण से आनंद की अनुभूति होती है। स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। गायत्री महामंत्र का उच्चारण मन को आनंदित करता है। मन और आत्मा का जुड़ाव कराता है गायत्री महामंत्र। राज्यपाल ने कहा कि जिस दिन संस्कृत व सभ्यता का योग हो जायेगा, भारत विश्व गुरु की आसन पर होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीन भाषा है। संस्कृत संस्कारित भाषा है। संस्कृत में वैश्विक ज्ञान की अमूल्य निधि समायी हैै। पुरातन ज्ञान को नवीनता के साथ संस्कृत के माध्यम से ग्रहण किया जा सकता है। देसंविवि में संस्कृत भाषा की चर्चा करने के बाद जो अमृत सा विचार निकलेगा, वह पूरी दुनिया में जायेगा, ऐसा विश्वास है। माननीय राज्यपाल ने कहा कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में जो संस्कृत, संस्कार व आधुनिक तकनीकी का संगम है, यह आज की युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। युवाओं का आवाहन करते हुए माननीय राज्यपाल ने कहा कि हर व्यक्ति को राष्ट्र के विकास में अपना योगदान करना चाहिए।