लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के न्यायवैशेषिक के विभागाध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रोफेसर पीयूष कांत दीक्षित का लंबी बिमारी के बाद नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बीते दिन निधन हो गया था। वह 60 वर्ष के थे।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पीयूष कांत दीक्षित की अस्थियां आज गंगा में प्रवाहित कर दीं गयीं। बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के न्यायवैशेषिक के विभागाध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रोफेसर पीयूष कांत दीक्षित का लंबी बिमारी के बाद नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बीते दिन निधन हो गया था। वह 60 वर्ष के थे। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में आज दोपहर उनकी सुपुत्री श्रीमती कीर्ति कौमुदी, दिवंगत प्रोफेसर दीक्षित की अस्थियां लेकर पहुंची।विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। छात्रों, शिक्षकों,शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने गीता पाठ करने के बाद अस्थिकलश पर पुष्पांजलि अर्पित की। कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने पूर्व कुलपति को सदैव विश्वविद्यालय हितों के लिए समर्पित व्यक्तित्व बताते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि प्रोफेसर दीक्षित के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने अनेक ऊचाईयों को छुआ। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रद्धांजलि समारोह के बाद कनखल के सतीघाट पर दिवंगत प्रोफेसर दीक्षित की अस्थियां उनके पोते रिवान्श उनके दामाद अभिषेक श्रीवास्तव मधुसूदनन, पूर्व कुलपति के साले आशुतोष मिश्र, समीर उपाध्याय ने गंगा में प्रवाहित कीं। विश्वविद्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में डॉ अरुण कुमार मिश्र, मनोज गहतोड़ी, डॉ प्रतिभा शुक्ला, डॉ कंचन तिवारी, डॉ विनय सेठी,डॉ उमेश शुक्ल,डॉ अरविन्द नारायण,छात्र संघ अध्यक्ष निर्मल थुवाल,हिमांशु लोशाली, नाथी राम, चरण सिंह, सरदार निर्मल सिंह सहित अनेक कर्मचारी और छात्र उपस्थित रहे।