विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में हमारी भूमि हमारा भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में देश के कोने कोने से आये गायत्री साधकों सहित विभिन्न विधाओं से जुड़े लोग शामिल रहे। वहीं संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने चंदन के पौधे का पूजन किया।
रिपोर्ट - रामेश्वर गौर
हरिद्वार 5 जून : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में हमारी भूमि हमारा भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में देश के कोने कोने से आये गायत्री साधकों सहित विभिन्न विधाओं से जुड़े लोग शामिल रहे। वहीं संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने चंदन के पौधे का पूजन किया। संगोष्ठी में अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि पेड़ लगाने से ऑक्सीजन मिलता है और इसी शुद्ध ऑक्सीजन से ही जीवन बचेगा। आज जंगलों से पेड़ काटे जा रहे हैं, इससे वन्य जीव के साथ ही मानव जीवन पर भी गहरा असर पड़ रहा है।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय पण्ड्या ने कहा कि पेड़ रहेंगे, तो पानी बचेगा और तभी धरती हरी भरी रह सकती है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि इस समय 76 प्रतिशत लोग प्रदूषित हवा ले रहे हैं। भारत के शहरों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए वृहद् स्तर पर पौधोरोपण करने की आवश्यकता है। डॉ. ओपी शर्मा ने कहा कि पेड़ हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन प्रदान करता है। श्री केदार प्रसाद दुबे ने कहा कि पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ केवल एक नारा ही नहीं है, यह एक जिम्मेदारी है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को समझना चाहिये। श्री श्याम बिहारी दुबे ने कहा कि धरती को बचाने के लिए हम सभी के लिए यह एक बड़ा अवसर है। इससे पूर्व शांतिकुंज के नौनिहालों द्वारा बाल वाटिका हेतु विभिन्न प्रजातियों के पौधों का पूजन किया गया। जिसे बच्चों ने अपने अपने घरों में लेकर गये और गमलों व बगीचों में लगाये। बालवाटिका के अंतर्गत आक्सीजन जोन तैयार करने के लिए घर-घर के नौनिहालों को प्रेरित किया गया। ताकि घरों के आंगन, छतों, बालकोनियों को हरियाली से भरे, जिससे शुद्ध वायु प्राप्त किया जा सके। इसके साथ ही शांतिकुंज सहित विभिन्न राज्यों में गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं ने वृहत स्तर पर पौधारोपण किया।