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जीते जीते अंशदान जाते जाते अंगदान - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर सभी को शुभकामनायें देते हुये कहा कि माँ गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि भारत की आत्मा है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेेश, 16 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर सभी को शुभकामनायें देते हुये कहा कि माँ गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। भारत की शान, आन, पहचान और स्वाभिमान है। माँ गंगा युगों युगों से मानवीय चेतना का संचार कर रही हैं। वह केवल हमारी आस्था ही नहीं बल्कि हमारा अस्तित्व भी है, वह केवल जीवन का ही नहीं बल्कि जीविका का भी स्रोत हैं। आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य मेदांता अस्पताल चेस्ट सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) अरविंद कुमार जी, चीफ कमिश्नर श्री रमेश नारायण परबत जी डीजी इन्वेस्टीगेशन, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड़, डा राजीव खुराना जी, संस्थापक लंग्स केयर फाउंडेशन, और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने गंगा स्नान, विश्व शान्ति यज्ञ, श्रीराम कथा, आज की विशेष गंगा आरती व गंगाजी के अवतरण पर विशेष सत्संग में सहभाग किया। परमार्थ निकेतन गंगा के पावन तट पर आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा के 33 वें दिन स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व पिता दिवस है हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पितृदेवो भव, मातृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव ...और गुरूजनों की अद्भुत व्याख्या की गयी हैं। वैज्ञानिक गुरूत्वाकर्षण की बात करते हैं भारत में तो सदियों से हमने देखा है ’गुरू तत्व का आकर्षण’, उन्होंने कहा कि धरती पर सबसे बड़ा गुरू तो ईश्वर है, वही सबके भीतर विद्यमान है वही पूरी सृष्टि में विराजमान है और उन्हीं का आकर्षण पूरी सृष्टि में काम कर रहा है। माता-पिता के वजह से हमें यह जीवन मिला हुआ है। यह जीवन केवल अपने लिये नहीं बल्कि पूरे समाज व सृष्टि के लिये है। स्वामी ने कहा कि कथाओं के मंच भीतर के प्रदूषण को दूर करने के साथ-साथ बाहर भी जितने प्रकार के प्रदूषण है उस पर भी कथाओं के मंच से प्रतिदिन चर्चा होनी चाहिये।

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