विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी जी ने की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर राधावल्लभ सती, परिसर निदेशक-मुख्य परिसर तथा प्रोफेसर अनूप गक्खड, कुलसचिव, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की उपस्थिति रही।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हर्रावाला । आज उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य परिसर में 10 वां अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव मनाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी जी ने की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर राधावल्लभ सती, परिसर निदेशक-मुख्य परिसर तथा प्रोफेसर अनूप गक्खड, कुलसचिव, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की उपस्थिति रही। आज प्रातः सत्र में आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर विनीत अग्निहोत्री जी(प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, स्वस्थवृत विभाग) के द्वारा आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित किए गए योग प्रोटोकॉल योगाभ्यास कराया गया एवं उनके चिकित्सा एवं यौगिक लाभों के बारे में विस्तृत व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर त्रिपाठी ने सभी को 10 वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जब आज के दिन सारे विश्व में एक साथ सभी लोग योगाभ्यास करते हैं तो निश्चित रूप से भारत का गौरव संपूर्ण विश्व में स्थापित होता है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी जी मार्गदर्शन में आयुष मंत्रालय द्वारा संपूर्ण विश्व में योग का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ है। उत्तराखंड राज्य सरकार भी माननीय मुख्यमंत्री जी श्री पुष्कर सिंह धामी जी के मार्गदर्शन में आयुष मंत्रालय उत्तराखंड सरकार , एवं उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा व्यापक स्तर पर उत्तराखंड स्टेट को योगभूमि के रूप में स्थापित किए जाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं। उन्होंने वर्तमान समय में योग की आवश्यकता योग का अर्थ तथा योग के द्वारा शारीरिक मानसिक एवं सामाजिक तथा आर्थिक उन्नयन के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ मन को आत्मा से जोड़ना है, योग ही हमें प्रकृति से जोड़ना सिखाता है। योग के निरंतर अभ्यास से हम अपनी कार्य क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। अष्टांग आयुर्वेद जहां शरीर को निरोगी रखता है , वहीं महर्षि पतंजलि प्रणीत अष्टांग योग के यम नियम, आसन बहिरंग योग तथा अंतरंग योग- प्रत्याहार, प्राणायाम धारणा ध्यान समाधि आदि का अपने जीवन सतत योगाभ्यास करना चाहिए। अष्टांग योग के द्वारा चित्त की वृत्तियो को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया इस वर्ष योग महोत्सव की थीम " स्वयं एवं समाज के लिए योग करें" क्योंकि योगाभ्यास के द्वारा ही सात्विकता का उदय होता है तामसिक भावनाओं की समाप्ति होती है तथा योग के अभ्यास से सारी दुनिया हमें अपनी सी महसूस होती है। जो कि वासुदेव कुटुंबकम की भावना को हमारे अंतःकरण में स्थापित करती है। योग समाज एवं परिवार को भी आपस में जोड़ने में मदद करता है। योग हमें तनाव अवसर एवं एंजायटी आदि मानसिक समस्याओं से निजात दिलाता है हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से फिट रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट का योगाभ्यास करना चाहिए।प्रोफेसर राधा वल्लभ सती ने कहां योग एवं आयुर्वेद हमारे प्राचीन भारत की बौद्धिक एवं आध्यात्मिक संपदा है । हमारी देवभूमि उत्तराखंड योग और आयुर्वेद की भूमि है। सभी उपस्थित प्रतिभागियों से योग के प्रचार प्रसार करने का आवाहन किया। प्रोफेसर अनूप गक्खड ने सभी प्रतिभागियों को योग महोत्सव की शुभकामनाएं दी तथा योग के प्रचार प्रसार एवं अभ्यास की आवश्यकता के बारे में अपने विचार व्यक्त किया। डॉ राजीव कुरेले ने योग का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व तथा योग के आउटकम तथा योग के मानसिक एवं चिकित्सकीय एवं आध्यात्मिक लाभो पर विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में संजीव पांडे उपकुल सचिव, मुख्य परिसर शिक्षक डॉ नंदकिशोर दाधीचि, डॉ जया काला, डॉ अमित तमादड्डी, डॉ सुनील पांडे, डा0 इला तन्ना, डा0अंजना टांक, डा0 वर्षा, डा0 प्रवोध एरावर, डा0अनुराग वत्स, चंद्रमोहन पैन्यूली, विवेक जोशी, अनूप डिमरी, विवेक तिवारी, डॉक्टर डी0के0सेमवाल, डा0आशुतोष चौहान आदि , चिकित्सक, इंटर्न एवं प्रशासनिक कार्यालय के विभिन्न अधिकारी कर्मचारी आदि की सक्रिय प्रतिभागिता रही ।